Masumiyat Shayari
1- चला था मैं भी घर से मासूमियत ओढ़कर, इस ज़माने ने क़त्ल कर दिया उसका गला घोंटकर।
2- मासूमियत में की थी ख्वाहिश बड़े होने की, मगर इतनी बड़ी सजा नहीं मांगी थी बड़ा होने की।
3- वो तो मतलब ने सीखा दी चालाकियां ज़माने को, जो ये न होता तो सब मासूम होते।
4- रिश्तों का नूर मासूमियत से है, ज्यादा समझदारियों में रिश्ते घटने लगते हैं।
5- जब तक सच्ची मोहोब्बत का सच ना हमे मालूम रहा, उस दिन तक मैं मासूम रहा।
6- तेरी मासूमियत ने फेर दिया पानी वरना हम भी कभी पत्थर दिल हुआ करते थे।
7- दिन बचपन के किसी को ठीक से याद नहीं रहते, पर याद बचपन के दिनों को सब बहुत ठीक से करते हैं।
8- मासूमियत बचपन तक किरदार होता है जो बड़े हो कर भी मासूम है वो किरदार निभा रहे हैं।
9- मिली थी मासूमियत बचपन में एक दिन खो गई, हुआ यूँ की हमे मोहोब्बत हो गई।
10- तेरे चेहरे की मासूमियत ही सफाई दे देगी, तू गुनाह भी कर दे तो कोई सजा नहीं देगा।
11- अपनी शक्शियत से तू बगावत न किया कर, जो है वो रह ये मासूमियत की बनावट ना किया कर।
12- ये वक़्त बहुत ज़ालिम है साहब, तजुर्बा देख कर मासूमियत छीन लेता है।
13- ज़िम्मेदारिया पालने में मुश्किलात ये है मासूमियत को पहले मारना पड़ता है।
14- वो बचपन था या सपना आज भी यकीन नहीं होता, उस दौर हक़ीक़त भी सपनों से हसीं हुआ करती थी।
15- उसे हादसा बता कर टाल दिया गया, मगर मैं गवाह हूँ मेरी मासूमियत के कत्ल-ऐ-आम का।
16- सबक मिले है मासूमियत बेचकर हमे, ये सौदा बड़ा ही महंगा पड़ा है।
17- तुम जान हो ये जान नहीं पा रहे, ये मासूमियत है या दिखावा है सनम।
18- जो बेज़ुबान हो गया है ज़िम्मेदारियों के चलते इस बच्चे को कैसे मासूम कहा जाए।
19- छुप गई है मासूमियत ज़िम्मेदारियों के पीछे अब वो खुलकर किसी के सामने नहीं आती।
20- दम तोड़ देती है हर शिकायत लबों पर आकर, जब मासूमियत से वो कहती है मेरी खता क्या है।
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21- तूने मेरे राज़ जान कर मेरी मासूमियत का इम्तेहान तो ले लिए, अब इन्हे अपने तक रखकर अपनी वफादारी का सबूत भी देना।
22- चुप रहता था अब बेबाक हो गया है, तू मासूम था पहले अब चालाक हो गया है।
23- यूँ ही नहीं जुड़ता समझदारी का पन्ना ज़िन्दगी की किताब में, दिल तोडना पड़ता है मोहोब्बत में आकर।
24- तजुर्बा नहीं इसे अजगर कहिए, ये निगल गया नजाने कितनी मासूमियत को।
25- मासूम आ गया मोहोब्बत के पाठशाला में अब आया है तो कुछ सीख कर ही जाएगा।
26- मासूमियत टपकती थी जिस चेहरे से दिन भर, वो चेहरा नहीं नक़ाब निकला।
27- सयाने हो जाना ही बेहतर है जनाब मासूम को यहाँ मज़लूम बना दिया जाता है।
28- किसी ने मुझ से कहा तुम बहुत अच्छे हो, मैंने हंस कर कहा यही तो खराबी है।
29- चालाकियाँ उससे दरकिनार ही रही, मुश्किलों के बावजूद भी मासूमियत उसकी बरकरार ही रही।
30- जितनी मासूमियत से उसे अपना बनाया था हमने, उतनी चालाकी से हमे उसने पराया कर दिया।