30 Latest 2 Line jazbaat shayari

1- वक़्त लग जाता है दुनिया को बस बात समझने में, ज़माना लग जाएगा इन्हे जज़्बात समझने में।

2- जज़्बातों का रिश्ता हुआ करता था कभी मोहोब्बत अब सिर्फ दो रातों का खेल बन कर रह गया है।

3- जज़्बात की स्याही जब दिल के पन्नों पर जम जाती है, हर एक लफ्ज़ शायरी बन जाती है।

4- मोहोब्बत में तेरे इतने जज़्बाती हो गए, तुझे सँवारने के चक्कर में बर्बाद ही हो गए।

5- माना की काफी समझदार हो मगर, मेरे जज़्बातों को समझना तुम्हारी समझ के बहार ही है।

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6- करता हूँ फ़िक्र बस जताता नहीं हूँ, मोहोब्बत बेपनाह है बस बताता नहीं हूँ।

7- मोहोब्बत हो बस मोहोब्बत की बात ना हो, वो रिश्ता नहीं समझौता है जिसमे मौजूद जज़्बात ना हो।

8- जज़्बात लिखे तो मालूम हुआ, पढ़े लिखे लोग भी पढ़ना नहीं जानते।

9- मोहोब्बत के मंसूबों की ख़ाक बना कर, मुस्कुरा रहा था वो मेरे जज़्बातों का मज़ाक बना कर।

10- कोई हो जो मेरी बात बिना कहे समझ ले, कोई हो जो मेरे ज़ख्मों का दर्द बिना सही समझ ले।

11- बहार निकलेंगे तो खामखा हंगामा होगा, यही सोच कर अपने जज़्बातों को अंदर कैद रखता हूँ।

12- रिश्ते ना जाने कितने ही संभल जाते, जो एक दूसरे को समझने की बजाय एक दूसरे को समझ पाते।

13- अल्फ़ाज़ों में इतनी ताक़त नहीं जो जज़्बातों को बयान कर दे, जज़्बात तो इतने ताक़तवर है जो दो बूढ़े दिल को भी जवां कर दे।

14- रोता रहा फूल तन्हाई में रात भर लोग औंस कहकर उसे वहां से गुज़रते रहे।

15- गिरे को उठाए मुसाफिर कोई ऐसा ज़िन्दगी के सफर में नहीं है, कदर हो जहाँ सभी को सभी की ऐसी कोई यहाँ डगर ही नहीं है।

16- ये बस पानी है या मैं सच में रो रहा हूँ, ये ज़िन्दगी सच में बेदर्द है या फिर मैं खामखा जज़्बाती हो रहा हूँ।

17- पढ़े लिखे लाखों निकले इन दिल की गलियों से मगर कोई इनकी दीवारों पर लिखे जज़्बातों को पढ़ने में कामियाब ना हुआ।

18- ये जो कहते है की हम बर्बाद लिखते हैं, कभी सुकून से बैठ कर पढ़ोगे तो जानोगे हम जज़्बात लिखते हैं।

19- कुछ उम्दा किस्म के जज़्बात हैं हमारे, कभी दिल से समझने की तकलुफ़्फ़् तो कीजिए।

20- दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर, ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी।

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21- रुक सकें किसी के लिए इतना सब्र किसे है, नीचे दिखाकर खुद ऊपर उठना है यहाँ जज़्बातों की कदर किसे है।

22- समझाने जाएं भी तो किधर जाए, कोई उठाने वाला ही नहीं है हम जो बिखर जाएं।

23- बात ये भी बड़ी लाजवाब हो गई, जज़्बात की स्याही पन्नों पर बिखरी और किताब हो गई।

24- मेरे जज़्बात से वाकिफ है मेरा क़लम फ़राज़, मैं प्यार लिखूं तो तेरा नाम लिख जाता है।

25- आँखों से आंसू नहीं जज़्बात बहते गए, कोई समझ ना सकेगा तुझे गिरने से पहले वो कहते गए।

26- ना चाहत के अंदाज़ अलग, ना दिल के जज़्बात अलग, थी सारी बात लकीरों की, तेरे हाथ अलग, मेरे हाथ अलग।

27- मेरी चाहत ने चिल्ला कर पूछा क्या चाहती हो तुम, आंसू ऐसा सुन कर जो रुक ना सके कहने लगा जज़्बाती हो तुम।

28- समझते नहीं या बस दिखावा करते हो, या फिर तुम भी मेरी तरह जज़्बातों को अपने दबाया करते हो।

29- ना चाहत के अंदाज़ अलग, ना दिल के जज़्बात अलग, थी सारी बात लकीरों की, तेरे हाथ अलग, मेरे हाथ अलग।

30- दिल के जज्बातों की हिफाजत करें भी तो कैसे? महफूज तो धड़कन भी नहीं होती सीने में।

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