29+ Sad Majboori Shayari – (लाचारी पर शायरी)

29+ Sad Majboori Shayari – (लाचारी पर शायरी)

1- हरा सकती है, डरा सकती है, वो मजबूरी है वो इंसान से कुछ भी करा सकती है।

2- पढ़ने की उम्र में उस बच्चे ने मजदूरी की थी, मजबूरी ही थी की उसके नन्हे पैरों ने इतना बड़ा क़दम उठा लिया।

3- ऐसी भी क्या मजबूरी आ गई जनाब की आपने हमारी चाहत का कर्ज़ा धोका दे कर चुकाया।

4- किसी गिरे इंसान को उठाने आएं ना आए ये ज़माने वाले मजबूरी में पड़े इंसान का फायदा उठाने ज़रूर आएँगे।

5- हाथ पैर वाले कमा रहे है शरीर बेच कर, ऐसी भी क्या मजबूरी है जनाब जो ज़मीन खरीद रहे हो ज़मीर बेच कर।

6- ये मोहोब्बत है मजबूरी नहीं इसे ज़रा दिल से कीजिएगा।

7- बहाना कोई तो ऐ ज़िंदगी दे कि जीने के लिए मैं भी मजबूर हो जाऊँ।

8- सब गुलाम है अपने हालातों के यहाँ, बेचैन आँखे सोती नहीं रातों में यहाँ।

9- मौज में फिरते थे कभी हम भी ज़माने में, फिर क्या हम भी लग गए कमाने में।

10- बेबसी किसे कहते हैं ये पूछो उस परिंदे से जिसका पिंजरा रखा भी तो खुले आसमान के तले।

11- कौन कहता है वक़्त किसी का नहीं होता, मैने मेरे ही वक़्त को मुझे बर्बाद करते देखा है।

12- गरीब अक्सर तबयत का बहाना बनाकर मजबूरियाँ छुपा जाते हैं।

13- लड़को की ज़िन्दगी आसान कहाँ साहब ख्वाहिशे मर जाती है उनकी ज़िम्मेदारियों के नीचे आ कर।

14- दर्द में भी वो गरीब काम कर रहा था, क्या करें साहब हालातों का मारा था।

15- फायदा नहीं उन आँखों का कोई जो अपने फायदे के आगे किसी की मजबूरी ना देख सके।

16- मजबूरी जैसी भी हो बताना मत, यहाँ सभी के पास दिमाग है दिल से कोई नहीं सुनेगा।

17- अक्सर मज़बूरी में इंसान वो काम भी करने करने को तैयार हो जाता हैं, जिसके बारे में उसने पहले कभी सोचा तक भी नहीं होता है।

18- जब इंसान किसी रिश्ते को मज़बूरी में निभाने लग जाता है, तब उसके लिए वो रिश्ता सिर्फ सिर दर्द बनकर रह जाता है।

19- जब बुरा वक़्त का साया किसी शक्श पर पड़ता है, तब उसकी मज़बूरी का फायदा उठाने के लिए उससे हर शक्श मिलता है।

20- ना जाने उसकी मज़बूरी रही होगी, बड़ी बेरहमी से दिल तोड़ा है उसने मेरा।

21- ऐ खुदा मज़बूरी चाहे कोई भी हो पर तुझसे गुजारिश की उसके और मेरे बीच कभी दूरी ना हो।

22- इंसान मजबूर होता नहीं हैं बल्कि परिस्तिथियाँ उसे मजबूर बनाती है, इंसान पैसो के पीछे भागना नहीं चाहता पर जरूरते उसे दौड़ाती है।

23- होठों की भी क्या मजबूरी रहती है, सब कुछ कह कर भी बात अधूरी रहती है।

24- ना जाने मज़बूरी भी इंसान से क्या-क्या करवाती है, अपनों को भी धोखा देने के लिए इंसान को मजबूर बना देती है।

25- ना चाहते हुए भी पसंददिता चीज को खरीदने से नजरअंदाज करना पड़ता हैं, क्या करे मज़बूरी ही ऐसी हैं एक पैसा खर्च करने में भी हज़ार बार सोचना पड़ता है।

26- मुस्कुराते हुए चेहरे पर निराशा आने लगती हैं, ये मजबूरियां इंसान की जिंदगी में सिर्फ दुखो का भार लाती है।

27- हर दिल की कोई न कोई मजबूरी होती है, हालात ले आते हैं यह जो दिलों में दूरी होती है।

28- अगर हमसे महोब्बत थी ही नहीं तो क्यों निभाते जा रहे थे, अगर हमसे महोब्बत निभाना कोई मज़बूरी थी तो हमें पहले ही बता देते।

29- जो काम पसंद नहीं हैं उसे ना चाहकर भी करना पड़ता है, वो मजबूरियां ही होती हैं साहब जिनसे हमें लड़ना पड़ता है।

30- हम तुम में कल दूरी भी हो सकती है वज्ह कोई मजबूरी भी हो सकती है। – बेदिल हैदरी

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