
1- दिल देख कर मोहोब्बत करने का रिवाज़ अब ख़त्म हो चुका है अब मोहोब्बत से पहले जिस्म देखा जाता है।

2- जिस्म तो सूरज है साहब वक़्त के साथ ढल जाएगा, सब रह जाएगा धरा का धरा तेरा कर्म ही तेरे संग जाएगा।

3- जिस्म तो बाज़ारों में बिकता है, दिल से की गई मोहोब्बत का अंदाज़ ही अलग दिखता है।

4- जिस्म से रूह निकलना अब आसान लगता है तुझे दिल से निकालना अब मेरे बस में नहीं।

5- तेरे जिस्म से नहीं तेरे दिल से मोहोब्बत करते हैं हम, जिस महफ़िल में तू हर उस महफ़िल से मोहोब्बत करते हैं हम।

6- यहाँ सब जिस्म के भूखे हैं साहब मोहोब्बत की प्यास यहाँ किसी को नहीं दिखती।

7- आज कल की मोहोब्बत social मीडिया पर शुरू होती है और बिस्तर पर जा कर ख़त्म हो जाती है।

8- अजीब सी बेवकूफी देखी है लोगों के अंदर भी, टूटा है दिल जनाब का पर संवारते वो जिस्म को है।

9- जिस्म के घाव भर जाते हैं पर ये दिल के घाव हैं ये क़यामत आने तक कहर ढाते हैं।

10- मोहोब्बत की आड़ में जिस्म का सौदा हुआ, इश्क़ ही बदनाम हुआ इश्क़ को ही रौंदा गया।
11- ऐ जिस्म के दीवानों कभी रूह भी देखना, चेहरे से पहले कभी दिल भी देखना।
12- कसम खुदा की गुल खिलने लगेंगे जब जिस्म से पहले दिल मिलने लगेंगे।
13- जिस्म तो मिल जाता है चंद पैसों में साहब मोहोब्बत खरीद सको हमारी तो मानें।
14- जिस्म की चका-चौंध में सब अंधे हैं जहाँ किसी को कम्बख्त इश्क़ नज़र ही नहीं आता।

15- जिस्म तो कई छू लेते है भीड़ का फायदा उठा कर बाज़ारों में, कोई रूह छू नहीं पाता फिर भी ना जाने क्यों हज़ारों में।
16- जिस्म की मोहोब्बत चार पल चलती है, याद रखा जाता है सदियों तक रूह की मोहोब्बत को।
17- प्यार में तब तब धोका खाएंगे लोग, जब-जब दिल को छोड़ कर जिस्म को चाहेंगे लोग।
18- वादे वफ़ा के चाहत जिस्म की, ये मोहोब्बत आज के ज़माने की ज़रा अलग किस्म की।
19- जिस्म नहीं जज़्बात भी देखना, सूरत नहीं दिल भी देखना।

20- दर्द गूंज रहा दिल में शहनाई की तरह, जिस्म से मौत की ये सगाई तो नहीं, अब अंधेरा मिटेगा कैसे.. तुम बोलो तूने मेरे घर में शम्मा जलाई तो नहीं।
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21- हवस इंसान की साए की तरह होती है वो कभी एक शरीर तक नहीं टिकती।
22- कुछ पल बिस्तर पर बिता कर, मोहोब्बत समझ रहे थे वो हवस को मिटा कर।
23- अगर जिस्म से लिपटना मोहोब्बत होती तो अजगर से बड़ा कोई आशिक़ ना होता।
24- झूठ कहते है ये प्यार है जनाब, सही मायनों में ये जिस्म का कारोबार है जनाब।
25- जिस्म की मोहोब्बत थी तो मांग लेते ये सच्ची मोहोब्बत का नाटक कर जान लेने की क्या ज़रुरत थी।
26- जो मेरे जिस्म की चादर बना रहा बरसो तक ना जाने क्यों वो आज मुझे बेलिबास छोड़ गया।
27- ये भी अलग क़िस्म की मोहोब्बत है, यहाँ दिल नाकाम है ये जिस्म की मोहोब्बत है।
28- आँखे मोहोब्बत की अब दिल नहीं देखती जिस्म देखती है।
29- गूँज समझ लिया तुमने एक आहट को, मोहोब्बत समझ लिया तुमने जिस्म की चाहत को।
30- जिस्म सवांरने वाले इन नादान आशिक़ों को तो देखो ये दिल साफ़ रखना ही भूल गए।
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