Michhami Dukkadam Messages In Hindi
बीते दिनोंमें मेरे किसी व्यवहार से आपका दिल दुखा हो तो उसके लिए मैं हाथ जोड़कर आपसे क्षमा चाहती हूँ, कृपया क्षमा कर अनुग्रहित करे. ‘मिच्छामी दुक्कडम’ पर्युषण महा पर्व की हार्दिक शुभकामनाये! जय जिनेन्द्र !
‘मिच्छामी दुक्कडम’ पर्युषण महा पर्व की हार्दिक शुभकामनाये! जय जिनेन्द्र !
आपके सुख की हरदम प्रभु से करते कामना अनजाने में तीर चल जाते है जिंदगी का करते सामना आपका दिल दुखे ऐसी नहीं थी हमारी भावना फिर भी भूलवश हुई गलती के लिये दोनों हाथ जोड़कर करते है क्षमायाचना मिच्छामि दुक्कडम्
मासखमण, अठाई, छठ, चोगड़ो, आयम्बिल, एकासणा, बियसणा, वरसीतप एवं नवकारशी करनेवाले सभी तपस्वीओको सुखशातामा पूछके खमावु बांरबार. पर्युषण महा पर्व की हार्दिक शुभकामनाये! जय जिनेन्द्र
दो शब्द क्षमा के जीवो को खुशहाल करते है टकराव दूर होता है, खुशिया हज़ार देते है खुश रहे खुशिया बाटे, महान उसे कहते है मिच्छामि दुक्कडम्
दो शब्द क्षमा के जीवो को खुशहाल करते है टकराव दूर होता है, खुशिया हज़ार देते है खुश रहे खुशिया बाटे, महान उसे कहते है मिच्छामि दुक्कडम्
भुल होना प्रकृति है मान लेना संस्कृति है इसलिये की गई गलती के लिये हमें क्षमा करे मिच्छामि दुक्कडम
जाने अनजाने में हम से कोई भूल हुई या हमने आपका दिल दुखाया हो तो मन, वचन, काया से “उत्तम क्षमा” समभाव रखते हुए “पर्युषण” महापर्व पर हम आपसे मन, वचन, काया से “क्षमा याचना” करते है | मिच्छामि दुक्कडम्
मन, वचन, काया से जानते हुए अजान्ते हुए आपका दिल दुखाया होतो आपसे उत्तम क्षमा मिच्छामि दुक्कडम
1 दिन के 24 घंटे 1 घंटे के 60 मिनिट 1 मिनिट के 60 सेकंड एक हजार लम्हे हजार लम्हे में 1 ही आवाज मिच्छामि दुक्कडम
सुरज जैसे अंधेरा दूर करे, पानी जैसे प्यास दूर करे वैसे ही पर्युषण क्षमावाणी पर्व पर आप हमारी सारी गलतीयों और भूल-चुक को क्षमा करे मिच्छामि दुक्कडम
नवकार मेरी सांस है जैन धर्म मेरा विश्वास है , गुरुदेव मेरे प्राण है , मोक्ष कि मुझे तलाश है , क्षमा पर्व पर उत्तम क्षमा
जीवन यात्रा में चलते चलते, स्वार्थ, मोह, अज्ञानवश हुई भूलों के लिए, स्वच्छ ह्रदय से क्षमायाचना करते हुए , हम आपके स्नेह मैत्रीभाव की कामना करते हैं ! मिच्छामि दुक्कडम !!
कर जाते है शरारत क्योंकि थोड़े शैतान है हम कर देते है गलती क्योंकि इन्सान है हम ना लगाना हमारी बातों को दिल से आपको तो पता है कितने नादान है हम मिच्छामि दुक्कडम्
नवकार मेरा मन्त्र हैं ! जैन मेरा धर्म हैं ! गुरु मेरा प्राण हैं ! मोक्ष की मुझे आस हैं !!
धूल अगर चाहे तो अबीर हो जाये, रेशम अगर चाहे तो जंजीर हो जाए ! आवश्यकता है आदर्शों के परिपालन की ! इंसान अगर चाहे तो महावीर हो जाए
हुआ ह्रदय आहत कभी, विचार वाणी या व्यव्हार से ! मन को हुआ हो क्लेश कभी, कुलषित कुंठा के ज्वार से ! अनबन, अवगुण क्रोध सभी, मानवता में दूषण हैं ! क्षमा कीजिये सरल हृदय से क्षमा वीर का भूषण हैं
इस छोटीसी जिंदगी में, आपसे छोटी सी मुलाकात में, कभी भी कही भी, जाने अनजाने में, मेरे द्वारा हुई भूल के लिए, ह्रदय से क्षमायाचना !! मिच्छामि दुक्कड़म !!
तप ही आत्मा का असली चन्दन हैं। तप करने वालो को देवता भी करते वंदन हैं। क्या गुणगान करू इन तपस्वी आत्माओं का, तप की राह पर चलने वाले तपस्विओं का हार्दिक अभिनन्दन
पेन से नहीं, प्रेम से ! होठ से नहीं, हृदय से ! अक्षर से नहीं, अंतर् से ! शब्द से नहीं, स्नेह से ! मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडम
पुरे बरस मेरे द्वारा जाने अनजाने में, बोल चला में, हंसी मजाक में, आमने सामने या फोन पर, आपका मन दुखाया हो, गलत किया हो या गलत लगा हो, मन वचन एयर काया से आप सभी को मिच्छामि दुक्कडम
तप अगर हम कर न सके तो, तप का बहुमान कर के देखो। कट जायेंगे कर्म भी उससे, तपस्वी की अनुमोदना कर के देखो।
जीवन यात्रा में चलते चलते स्वार्थ, मोह, अज्ञानतावश हुई समस्त भूलो के लिये सच्चे स्वच्छ ह्रदय से क्षमायाचना करते हुए हम आपके स्नेह मैत्री भाव की कामना करते है मिच्छामि दुक्कडम
जाने में अनजाने में मन के वचन सुनने में अगर टुटा हो आपका मन तो क्षमावाणी के पर्व पर दे दीजिये हमें क्षमा का दान मिच्छामि दुक्कडम
इस छोटी सी ज़िन्दगी में हमारी आपकी छोटी सी मुलाकात में कभी भी, कहीं भी, हमारी वजह से आपकी चाँद सी मुस्कान चली गई होतो हमें क्षमा करे मिच्छामि दुक्कडम्
अनजाने में , अनचाहे भी, भूल कभी भी हो सकती है जीवन के उन क्रूर पलों में, भूल भी हो सकती है जीवन के उन क्रूर पलों की, भूल हमारी माफ़ करे क्षमा पर्व है, क्षमा दान है, क्लेश का अंत करे मिच्छामि दुक्कडम्
कुछ गलतियाँ जानते कुछ गलतियाँ अजानते कुछ कडवी वाणी से किसी कारण आपका दिल दुखाया हो तो मन वचन काय से उत्तम क्षमा मिच्छामि दुक्कडम
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