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(आत्मविशवास Self Confidence)- सफलता की चाबी

आत्मविशवास एक शब्द नहीं एक गुण है जो सफल और असफल व्यक्ति के बीच का फ़र्क़ होता है। आत्मविश्वास उनमे से एक गुण है जिनकी वजह से एक व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा है यह जाना जाता है।

स्वागत है आपका दोस्तों हमारे इस लेख में जिसका विषय है आत्मविश्वास। इस आर्टिकल में हम पहले आपको बताएंगे की आत्मविश्वास होता क्या है फिर हम आपको इसके लाभ से अवगत कराएंगे।

आपको हम इसमें कुछ युक्तियाँ (Tips) देंगे जिनसे आप अपना आत्मविश्वास कैसे बढ़ाना है यह जान जाएंगे तो शुरू करते है बिना और वक़्त को जाया करते हुए।

Table of Contents

आत्मविशवास क्या है?

आत्म विशवास एक ऐसी अनुभूति (Feeling) जिसके अंतर्गत किसी कौशल या अनुमान लगते वक़्त दूसरों से अत्यधिक खुद पर भरोसा किया जाए।

आत्म विशवास अगर किसी व्यक्ति के भीतर है तो वह अपने भीतर की कुछ अपूर्णताओं की वजह से हर कार्य को करने से नहीं घबराएगा।

एक आत्मविश्वासी व्यक्ति उस वक़्त भी स्वयं के निर्णय पर विशवास रखता है जिस वक़्त कोई विशवास नहीं करता।

आत्मविशवास के लाभ- (Benefits of Self Confidence)

क्या आपने कभी सोचा है की आत्मविश्वास के क्या लाभ हैं? अगर आप नहीं जानते तो ज़रा ठहरिए और जान लीजिए की आत्मविश्वास के कितने सारे लाभ हैं।

#1 सकारात्मक सोच का उदय (Rise of positive thinking)

आप किसी कार्य या किसी भी अन्य कारकों के नकारात्मक पहलुओं की तरफ तभी देखते हैं जब आप उस कार्य को करने से डरते हैं।

कई बार यह सही भी होता है की हम किसी भी कार्य को करने से हले पहले उसके नकारात्मक परिणाम देख लें परन्तु कभी कभी हमारा डर हमारे मन में बेवजह के नकारात्मक विचारों को शरण देता है और डर की वजह ही आत्मविशवास की कमी होती है इसीलिए आत्मविशवास को हम सकारात्मक सोच का उदय भी कह सकते हैं।

#2 सही एवं जल्दी निर्णय (Right and fast decision)

ज़िन्दगी में निर्णय हर मोड़ पर लेने पड़ते हैं पर हमारा डर उन निर्णयों को लेने से पहले ही हमे डरा देता है।

हम इतना डर जाते हैं की हमे यह नहीं दीखता की हमे इस से क्या लाभ होगा हम बस इस डर से फैसला नहीं लेते की कहीं अंत में हमे इसका फल न मिले और हमारा सारा समय व्यर्थ न हो जाए।

इसके विपरीत जो व्यक्ति इस बारे में न सोचकर अपने आत्मविशवास के बलबूते क़दम उठा लेता है वह सफल हो जाता है।

अगर वह सफल नहीं भी हो पाता फिर भी वह तजुर्बा प्राप्त कर लेता है और तजुर्बा वह चाबी है जो हर ताले को खोल सकती है इसीलिए आत्मविशवास एक मात्र उपाए है जो आपको फैसले जल्दी लेने में मदद करेगा।

#3 तनाव में भी सबसे बेहतर प्रदर्शन (Best performance even under stress)

तनाव कहीं न कहीं सभी को कसी न किसी बात का होता ही है एक विद्यार्थी को इम्तहान का तनाव एक युवक को इंटरव्यू के दौरान चयनित होने का तनाव परन्तु एक व्यक्ति जो आत्मविशवास से भरा हुआ है तो वह अपने आत्मविशवास के बल-बूते अन्य लोगों से (जिनके भीतर आत्मविशवास नहीं है) बेहतर प्रदर्शन करते हैं।

एक कलाकार जो सभी लोगों के सामने अपनी कला का प्रदर्शन कर रहा है जैसे की एक गायक खिलाड़ी रंगमंच अभिनेता आदि उनके लिए आत्मविशवास अत्यंत आवश्यक है क्यूंकि आत्मविश्वास के कारण वह अपने क्षमता से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है।

#4 डर से छुटकारा (Get rid of fear)

डर सिर्फ डरपोकों को लगता है ऐसा नहीं है। कुछ चीज़ों से डरना ज़रूरी भी है जैसे की ऊंचाई से कूदना आग में कूदना आदि वैसे मैं जानता हूँ और शायद आप भी जानते हैं की ऐसी चीज़ों से डरना कोई बेवकूफी नहीं बल्कि समझदारी है।

अब फिर आप सोच रहे होंगे की फिर मैं किस डर की बात कर रहा हूँ? मैं उस डर की बात कर रहा हूँ जिस से आपको कोई शारीरिक या मानसिक हानि नहीं होती जैसे अपनी बात (Point) दूसरों के सामने न रख पाने का डर

जो किशोरावस्था (Teenage) में अधिक होता है क्यूंकि दोस्त कई बार आपकी बातों का मज़ाक बना देते हैं और फिर हम कुछ कहना भी चाहते हैं तो नहीं कह पाते हैं।

अब अगर आपके पास आत्म विशवास है तो आप अपनी मत (Point) अपनी बात को ज़रूर उनके सामने रखेंगे फिर चाहे वह आपसे सहमत हों चाहे न हो आप अपनी बात कहने से नहीं डरेंगे ऐसे और भी कई अन्य डर है जिनसे आप आत्मविशवास के द्वारा बहार निकल सकते हैं।

#5 खुशहाल जीवन (Happy life)

जीवन मुसीबतों से भरा पड़ा है। अब कुछ लोग होते हैं जो क़िस्मत के भरोसे बैठते हैं क्यूंकि उन्हें खुद पर भरोसा नहीं होता।

और कुछ जिन्हे खुद पर भरोसा होता है और अध्यन के अनुसार पाया गया है की जिस व्यक्ति को खुद पर विशवास होता है वह मुक़ाबले उनके जिन्हे खुद पर विशवास नहीं होता उनसे अधिक खुशहाल जीवन जीते हैं।

वह ज्यादा खुश इसीलिए रह पाते हैं क्यूंकि उन्हें हुड पर भरोसा होता है की वह हर हाल हर मुसीबत से बहार निकल आएंगे।

#6 नए दोस्त बनाना आसान (Easy to make new friends)

अधिक तर लोगों में यह बात पाई गई है की वह आसानी से नए दोस्त नहीं बना पाते वह पहले बात करने से डरते हैं और सामाजिक रूप से कट कर रह जाते हैं।

इनके मुक़ाबले वह लोग जिनमे आत्मविशवास अधिक होता है वह पहले बात करने में विशवास रखते हैं वह नए लोगों से अच्छे समबन्ध बना लेते हैं।

क्यूंकि उनकाआत्मविशवास उनके व्यक्तित्व में एक अलग ही रौनक ला देता है।

यही कारण है की काम आत्मविश्वासी लोग नए मित्र बनाने में उतने सफल नहीं होते जितने की आत्मविशवास से सम्पूर्ण लोग होते हैं।

Tips to improve self-confidence

Tip #1- एकल यात्रा (Solo Trip)

मैं जानता हूँ आप सोच रहे होंगे की अकेले यात्रा करने से मेरा आत्मविशवास कैसे बढ़ेगा तो यह आपके भीतर सहज रूप में खुद ही आ जाएगा और वह ऐसे होगा की जब आप अकेले कोई कार्य अपने बलबूते पर करते हो तो आपका आत्मविशवास खुद ही बढ़ने लग जाएगा।

आप जब नए लोगों से मिलेंगे और नै जगहों पर जाएंगे तो आप खुद पर विशवास करने लगेंगे क्यूंकि एक व्यक्ति जब अपनी सीमा से बहार जाकर कुछ करता है तो आपको खुद पर गर्व होता है।

Tip #2- अपने क्षेत्र में नए रुझानों से अपडेट रहें (Stay updated with new trends in your field)

हम सभी किसी न किसी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और हम उस क्षेत्र में या फिर आने वाले समय में किसी क्षेत्र से जुड़ना चाहते हैं परन्तु हम किसी कार्य को करना चाहते हैं लेकिन हम उसमे आने वाले बदलाव से परिचित नहीं रहते तो क्या हम आत्मविशवास से भरे रहेंगे।

चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं अगर आज हमारे ऑफिस में मीटिंग (Meeting) है और उसमे नए प्रोडक्ट (Product) का प्रक्षेपण (launch) करने के ऊपर चर्चा होने जा रही है और आप उस मीटिंग का हिस्सा हैं अब अगर हम उस प्रोडक्ट की जानकारी ही नहीं रखते तो क्या हम आत्मविशवास के साथ वहां बैठ पाएंगे।

चलिए मान लेते हैं की हमारा ही ऑफिस है हमे तो पता ही होगा की कोई प्रोडक्ट launch होने जा रहा है परन्तु अगर हम यह भी जान लें की क्या यह सही समय है ऐसे और कितने प्रोडक्ट मार्किट में पहले से ही हैं आदि।

अगर हम सब कुछ पहले से ही जानते होंगे तो न सिर्फ हमारा आत्मविशवास बढ़ेगा इसके इलावा हम बेहतर सुझाव भी दे पाने में सक्षम होंगे जिससे हमारी प्रतिष्ठा (Reputation) भी बढ़ेगी।

Tip #3 डर से लड़कर डर को हराइए (Defeat fear by fighting fear)

हम तभी तक डर से डरते हैं जब तक हम उसका सामना करने से डरते हैं। हम चाहते हैं की हमारा सामना कभी डर इ न हो परन्तु जब तक हम किसी कार्य को करके नहीं देखेंगे तब तक हम कैसे समझ लें की हमे इस से डर लगता है।

डर को हरा कर ही आत्मविशवास को जीता जा सकता है इसीलिए जिस भी चीज़ से आपको डर लगता है और उस डर की वजह से आप सफल नहीं हो पा रहे हैं तो उस डर का सामना तब तक किये जब तक डर आपके सामने आ कर घुटने न टेक दे।

अगर आपको लोगों से मिलने से डर लगता है तो रोज़ एक व्यक्ति से मिलिए बात करिए। अगर आपको सुबह कसरत करने से डर लगता है तो आज ही से शुरू कीजिए आपका आत्मविशवास अवश्य ही बढ़ेगा।

Tip #4 अपनी कमज़ोरियों पर कार्य कीजिए (Work on your weaknesses)

इस दुनिया में कोई व्यक्ति सोला कला सम्पूर्ण नहीं होता हर व्यक्ति में कुछ न कुछ ताक़त और कुछ न कुछ खामियां होती है और अगर हम अपनी कमज़ोरी को अपनी ताक़त बना लें तो हम आत्मविश्वासी बन सकते हैं।

देखिए हम शारीरिक भिन्नताओं की बात नहीं कर रहे हैं वह हमारे हाथ में नहीं होती और हमे यह मानना चाहिए की हर व्यक्ति अपने आप में सबसे खूबसूरत है और जो व्यक्ति दूसरों के अंग रंग लिंग धर्म आदि का मज़ाक बनता है तो वह व्यक्ति खुद बहुत कमज़ोर हैं।

कुछ चीज़े जिन्हे आप ठीक कर सकते हैं हो जैसे की हो सकता है आपकी भाषा पर पकड़ अच्छी न हो जैसे आपकी हिंदी बेहतर न हो या फिर अंग्रेजी बेहतर न हो जिसकी वजह से आप वार्तालाप करने से भी घबराते हैं, तो आप कोई कोर्स करके या फिर youtube पर पढ़ कर सीख सकते हैं।

इस से आप अपनी कमज़ोरियों को अपनी ताक़त में तब्दील कर सकते हैं और एक आत्मविशवास से भरपूर व्यक्ति बन सकते हैं।

Tip #5 खुद को शाबाशी दें (Appreciate yourself)

हम अपनी हर छोटी गलतियों पर खुद को इतना कोस लेते हैं पर हम खुद को तब तक शाबाशी नहीं देते जब तक हम बहुत बड़ी कामियाबी नहीं हासिल कर लेते हम बस कार्य में लगे रहते हैं और बड़ी कामियाबी न मिलने का खुद को ज़िम्मेदार ठहराते रहते हैं।

हमे खुद की हर छोटी से छोटी जीत की सरहाना कर आगे बढ़ना चाहिए ताकि हम खुद को कभी हलका या कमज़ोर न समझे। हमे अगर खुद को शाबाशी देना आ जाएगा तो हम कभी यह सोचकर निराश नहीं होंगे की हमारा पास जीवन में कोई उपलब्धि नहीं है।

जब हम अपनी छोटी छोटी उपलब्धियों का जष्न मनाने लग जाएंगे तो हमारे भीतर बड़ी कामियाबी पाने का आत्मविशवास भी आ जाएगा।

Tip #6 वह बनो जो बनना चाहते हो (Be the one you want to be)

कहते हैं हर व्यक्ति के भीतर कुछ न कुछ हुनर ज़रूर होता है और हमे अपने भीतर के उस हुनर को जानकर उस पर कार्य करें। ज़िन्दगी में कुछ कर दिखाना सब चाहते हैं पर क्या हम लोग उस कार्य को कर रहे हैं जो हम करना चाहते है।

हम सफल नहीं हो पाते क्यूंकि हम उस क्षेत्र में चले गए हैं जहाँ हो सकता है दौलत हो शौहरत (Name & Fame) अधिक हो परन्तु हमे वह कार्य करना पसंद नहीं है।

ऐसे में जब हम उस कार्य को करेंगे तो हम वह आधे-अधूरे मन से करेंगे और जहाँ मन नहीं होता वहां विशवास नहीं होता आपको

आपको वह कार्य करना होगा जिस कार्य को करना आप को पसंद है ऐसे में आप कभी भी उस कार्य को सीखना नहीं छोड़ेंगे भले आपको अच्छे परिणाम जल्दी न मिले फिर भी आप उस कार्य को करते रहेंगे और आत्मविशवास से भरे हेंगे रहेंगे।

Tip #7 सकारात्मक सोचें (Think positive)

विन्सेन्ट पील ने अपनी पुस्तक The Power of Positive Thinking में कहा था कि जब लोग वास्तव में खुद पर विश्वास करना शुरू करते हैं तब वह लोग उल्लेखनीय हो जाते हैं।

आप अगर सोचेंगे की मुझसे यह नहीं हो पाएगा तो वह कार्य नहीं हो पाएगा आप अगर सोचेंगे की अब मेरे साथ गलत ही होगा तो आपके साथ गलत ही होगा।

जब आप बार बार नकारात्मक सोचते हैं तो आप किसी कार्य को करने से पहले इतना डर जाते हैं की आप अपना आत्मविशवास खो देते हैं क्यूंकि आपकी सोच आपके actions पर सीधा असर डालते हैं इसीलिए नकारात्मक सोच का परिणाम कभी भी सकारात्मक नहीं होगा।

Tip #8 आपके क्षेत्र में अपने से बेहतर लोगों के साथ रहिए (Stay around with better people in your field)

आपने यह ज़रूर सुना होगा की “यदि आप अपनी सांगत में सबसे बेहतर है तो आप गलत सनगत में है”

इसका अर्थ यह है की अगर आप एक कमरे में बैठे हैं जहाँ सबसे ज्यादा कौशल आपके पास है तो आप गलत कमरे में बैठे हैं क्यूंकि आप वहां सीखना बंद कर देंगे और जब आप वहां से निकल कर कहीं और उनसे बेहतर एवं निपुण कौशल वाले लोगों के सामने जाएंगे तो आप अपना आत्विश्वास उसी समय खो देंगे,

इसीलिए हमेशा ध्यान रखिए की आप उन लोगों के साथ अपनी सांगत बनाएं जो आपसे बेहतर हो ताकि न आप काम सीख पाने की वजह से अपने आत्मविशवास न खो दें। ऐसे लगातार सीखने से आपका आत्मविशवास बढ़ जाएगा।

आत्मविशवास और अति आत्मविशवास में क्या अंतर है ? (Difference between confidence and Over Confidence

आत्मविशवास और अति-आत्त्मविश्वास में एक बहुत छोटा सा ही फ़र्क़ होता है इसीलिए लोग कई बार अति-आत्मविशवास को ही आत्मविशवास समझ लेते हैं परन्तु इसमें अंतर क्या है यह जानना बहुत ज़रूरी है।

एक सबसे पहला फ़र्क़ आत्मविश्वासी व्यक्ति और अति-आत्मविश्वासी में यही होता है की वह खुद काबिलियत के बारे में अनुमान नहीं लगता।

उदाहरण के लिए एक कार्य जो देखने में आसान लग रहा है इसमें एक आत्मविश्वासी और एक अति-आत्मविश्वासी व्यक्ति के जवाब अलग-अलग रहेंगे जैसे अगर हम एक अति-आत्मविश्वासी व्यक्ति से पूछेंगे की क्या वह उस कार्य को कर पाएगा तो उसका जवाब होगा यह तो आसान है मैं कर लूँगा हालाँकि उसने पहले यह कार्य भले ही पहले किया न हो।

यही पर एक आत्मविश्वासी व्यक्ति तभी उस कार्य के लिए हाँ बोलेगा जब उसने वह कार्य पहले किया हो वार्ना उसका जवाब थोड़ा सा अलग होगा वह कहेगा की मैं यह कार्य कर लूँगा अगर मैं इसके ज़रूरी पहलुओं को सीख लूँ।

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