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BEST SCHOOL LOVE STORY IN HINDI

एक समय की बात हैं एक सौरभ नाम का छात्र था। उसकी आयु 15 वर्ष के करीब थी और वह 9 वी कक्षा का छात्र था। इसी आयु में उसे पहली बार एक सच्चा प्यार हुआ था। और जिससे उसको प्यार था उसका नाम अंजली था और वह उसी की कक्षा की सहपाठी थी। अंजली एक अमीर घराने की लड़की थी और उसकी आयु भी लगभग 14-15 वर्ष की थी। अंजली दिखने बे बेहद खूबसूरत थी पर उसको और लड़कियों की तरह अपनी खूबसूरती पर घमंड नहीं था।

सौरभ अंजली को बेहद प्यार करता था पर उससे अपने इश्क़ का इज़हार करने में डरता था। उसके पिताजी किसी प्राइवेट कंपनी में एक वर्कर थे और उसकी आर्थिक स्तिथि कुछ ज़्यादा ख़ास भी नहीं थी लगभग 10 -12 हज़ार उसके पताजी का मासिक वेतन था इसमें उसकी स्कूल की फीस देना घर चलना इत्यादि कार्य करना मुश्किल होता था।  इसलिए इसी डर के कारण की उसकी हैसियत अंजली से बहुत कम हैं इसलिए वह उससे अपने प्यार का इजहार करने में डरता था।

अपने इस इश्क़ के कारण सौरभ में एक बदलाव जरूर आ गया था की पहले वो स्कूल ना जाने के बहाने खोजता रहता था पर अब वह स्कूल टाइम से पहले जल्दी तैयार होकर स्कूल चला जाता था। उसके माता पिता सोचते थी की उनका बच्चा सुधर चुका हैं पर ये बात तो सौरभ ही जानता था की वह कितना सुधर रहा हैं।

समय बीतता जा रहा था पर सौरभ अंजली से अपने इश्क़ का इज़हार करने में युही डरता रहता था बस चोरी छिपे ही अंजली को देखता रहता था। हाँ कभी-कभी दोनों में बात भी हो जाया करती थी लेकिन पढ़ाई के टॉपिक को लेकर ही हुआ करती थी।  

समय धीरे-धीरे गुजरता गया उन्होंने नौवीं पास की फिर दसवीं पास की और अब वह 11 वीं कक्षा में आ चुके थे पर सौरभ के दिल में अंजली को लेकर प्यार इस गुजरते हुए वक्त में भी कम ना हुआ।

जैसी सौरभ 11 वी कक्षा में पंहुचा उसके कुछ दिन बाद ही सौरभ के घर की आर्थिक स्तिथि कई ज्यादा बिगड़ गयी क्योंकि उसके पिताजी की job किसी कारण वश छूट गयी थी और सौरभ की प्राइवेट स्कूल की फीस भर पाना भी उसके पिताजी के लिए थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

ऐसे हालात में सौरभ की पढ़ाई पर कुछ बुरा प्रभाव ना पड़े इसलिए सौरभ की मौसी ने सौरभ को 12 वी कक्षा पूर्ण होने तक अपने पास बुलाने की राय उसके पिताजी के सामने रखी और कहा सौरभ मेरे बेटे जैसा हैं उसकी 12 जब तक नहीं हो जाती उसकी पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा में उठाउंगी तुम बेफिक्र रहो ऐसे में सौरभ के पिता को यह बात ठीक लगी और उसको उसकी मौसी के पास जयपुर भेजने का निर्णय लिया।  

सौरभ को जब यह बात पता चली की वह अब 12 वी कक्षा पूर्ण होने तक जयपुर रहेगा तो वो थोड़ा मायुश हो गया पर अपनी आर्थिक स्तिथि को देख उसने अपने पिता का यह निर्णय स्वीकार लिया। अगले दिन सौरभ अपने मायुश चेहरे के साथ उठा क्योंकि उसके स्कूल का आज आखरी दिन था सौरभ और दिनों की तरह आज और जल्दी अपने स्कूल चला गया।

सौरभ जैसी स्कूल पंहुचा उसको अंजली को देखते ही एक ख़ुशी जाहिर नहीं हो पायी जैसे और दिनों होती थी क्योंकि उसको पता था की वह उसको आज आखरी बार देख रहा हैं। क्लास का 6th period  हमेशा गेम period हुआ करता था और सभी बच्चे बाहर Volleyball और Basketball खेलने जातें थे।

उस दिन भी सभी बच्चे बाहर Volleyball और Basketball खेलने गए पर सौरभ अकेला क्लास में बैठा हुआ था ऐसे में उसकी नजर अंजली के बैग पर पड़ी उसने देखा की उसका I-card बैग के ऊपर रखा हुआ हैं उसने पास जाकर उसका I-card उठाया  और उसमे उसने अंजली की प्यारी सी फोटो देखी और उसको अपने पास यह सोच के रख लिया की इसकी इस प्यारी सी फोटो को देख कर ही में अपना प्यार याद करता करूँगा। 

अगले दिन सुबह होते ही सौरभ अपनी मौसी के साथ जयपुर के लिए निकल गया। और अब सौरभ अंजली से हमेशा के लिए जुदा हो चुका था।  

समय अपनी रफ़्तार से बीतता गया सौरभ ने अपनी पूरी पढ़ाई खत्म कर ली थी और वह एक बड़ी Company में manager की Post में भी लग चुका था। उसकी जिंदगी काफी खुशल मंगल चल रही थी बस उसको हमेशा एक ही चीज की खामी खिलती थी और वो थी “अंजली”। 

सौरभ ने अंजली को ढूंढ़ने की लाख कोशिशे करि थी पर तब भी वह उसे ढूंढ ना पाया।

कुछ समय बाद सौरभ के घर वालों ने उसकी शादी एक सुन्दर लड़की के साथ तय कर दी और संयोग से उस लड़की नाम भी अंजली था। सौरभ जब भी अपनी पत्नी को अंजली नाम से पुकारता था तो उसको हमेशा अपने प्यार की याद आ जाया करती थी। सौरभ ने कभी भी अपनी पत्नी के सामने यह अहसास नहीं होने दिया था की उसके नाम से उसको अपने सच्चे प्यार की यादें उभर आती हैं।

एक दिन सौरभ अपनी कंपनी की कुछ important Files तलाश कर रहा था की अचानक उसको अंजली का वह स्कूल I-Card मिल जाता हैं और उसपे अंजली की प्यारी सी तस्वीर को देख कर वह भावुक हो जाता हैं।

तभी अचानक उसकी पत्नी किचन सी कमरे की तरफ आती हैं और उसके हाथ पे वह I-card देख लेती हैं और उससे पूछती हैं की यह I-Card आपका हैं क्या जरा दिखाना मुझे सौरभ उसको किसी बहाने से ना दिखाने के लिए मना करता हैं पर उसकी पत्नी जैसे तैसे उससे वह I-Card छिन कर देख लेती हैं।  फोटो देखते ही उसकी पत्नी को याद आ जाता हैं की ये तो वही I-Card  हैं जो मेरा 11 वी कक्षा में खो गया था उसकी पत्नी फिर उससे पूछती हैं की तुम्हारे पास यह I-Card कैसे आया और इसे तुम कैसे जानते हो ?

सौरभ अब पकड़ा गया था और वह अब यह नहीं चाहता था की वो अपनी पत्नी से इस सच को और छुपाये की यह उसका बचपन का प्यार हैं। उसकी पत्नी के पूछने के दौरान ही सौरभ सब सच बता देता हैं की वो अंजली को बचपन से लेकर अब तक कितना बे इम्तिहां प्यार करता हैं।

उसके इतना कहने के तुरंत बाद ही उसकी पत्नी उसको बताती हैं की यह फोटो तो मेरी हैं यह मेरा वही I-Card हैं जो 11 वी कक्षा में खो गया था। यह सुनते ही सौरभ के चेहरे में एक प्यारी सी ख़ुशी की झलक आ जाती पर तब भी उसको अपनी पत्नी की बात पे यकीन नहीं हो रहा होता हैं तो उसको यकीन दिलाने के लिए उसकी पत्नी अपनी पर्सनल डायरी लेकर आती हैं जिसमे उसके कुछ बचपन के स्कूल की फोटोज होती हैं  और पूरी क्लास की एक बड़ी फोटो जिसमे वो और अंजली एक साथ खड़े थे।

उन फोटोज को देखते ही सौरभ के आँखों में आँसूँ आ जाते हैं क्योंकि उसको उसके बचपन का सच्चा प्यार जी हाँ उसके बचपन का प्यार “अंजली” आज उसके सामने उसके पत्नी के रूप में खड़ी थी सौरभ के यूह आँसूँ देख अंजली की आँख भी भर आती हैं और वो उसको प्यार से अपने गले लगा लेती हैं। 

दोस्तों वो कहते हैना की प्यार अगर सच्चा हो तो रब भी तुम्हे उससे जुदा नहीं कर सकता ठीक वही हुआ सौरभ के साथ भी उसने बड़ी सिद्धत से अंजली को चाहा था और आखिर कार क्या हुआ उसे उसका प्यार मिल ही गया।  दोस्तों अगर आप भी किसी से इश्क़ करते हैं तो युही करते रहिये अगर आपका प्यार सच्चा हुआ तो मानिये या ना मानिये ये खुदा जरूर आपको आपका इश्क़ जरूर दिलाएगा।

दोस्तों आशा करता हु आपको हमारी यह प्यारी से लव स्टोरी आपको जरूर पसंद आयी होगी अगर पसंद आयी तो आपकी स्क्रीन में दिख रहे शेयर icons से जरूर शेयर करे किसी सच्चे आशिक़ के लिए यह स्टोरी काफी माईने रखती हैं।

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