
1- ऐसा कोई रिश्ता ना रहा जिसमे दगा ना मिली, ज़ख्म बहुत मिले कम्बख्त दवा ना मिली।

2- दोस्ती पर विशवास ना करने की वजह बहुत है, वहां भरोसा बहुत कम और दगा बहुत है।

3- मेरा दर्द-ऐ दिल खुशमन हो जाए, दगाबाज़ दोस्त से बेहतर तो एक दुश्मन हो जाए।

4- बात जो दिल में है उसे दबाया मत करो, दुश्मनी निभा कर मुझे अपना दोस्त मत बताया करो।

5- कौन दूर कौन संग दिखा दिया है, दोस्त कौन दुश्मन कौन सभी ने रंग दिखा दिया है।

6- पीठ पीछे नफरत मुँह पर दोस्ती दिखाते हैं, बस ऐसे ही आज कल लोग दोस्ती निभाते हैं।

7- भरोशानहीं करता किसी पर ये मेरा दोष नहीं है, एक मुसीबत आते ही दिखा दिया सभी ने कोई मेरा दोस्त नहीं है।

8- दिल में जलन मुँह पर बधाई दिखती है, दोस्ती और वफ़ा में मुझे बस तबाही दिखती है।

9- भला कौन पराया और कौन सागा है, जहाँ नज़र फेरों हर जगह दगा है।

10- मतलब मुलाक़ात की वजह है जनाब बिना मतलब के तो आज कल लोग खुदा से भी नहीं मिलते।
11- भला बदला क्या है अलग क्या है, दगाबाज़ दोस्त और दुश्मन में फ़र्क़ क्या है।
12- हम तो बिछड़े थे तुम्हे अपना एहसास दिलाने के लिए, तुमने हमारे बिना ही जीना सीख लिया।
13- ये दोस्ती का गणित है साहब यहाँ दो में से एक भी जाता है तो एक भी नहीं बचता।
14- खंजर कीतने हैं पीठ पर गिन नहीं पाओगे, हालांकि इतना बता दूँ की दोस्त मेरे ज़्यादा नहीं थे।

15- नज़दीक जा कर समझ गया हूँ कौन क़रीबी है मेरा, बस इसीलिए दोस्ती और वफ़ा के मैं पास नहीं जाता।
16- एक दफा सुन लो मैं रोज़ नहीं बताता, संग रह लेता हूँ सभी के पर किसी को दोस्त नहीं बनाता।
17- जो तरक्की देख कर जलना शुरू कर दे, बेहतर है ऐसे दोस्त से दूर होकर चलना शुरू कर दे।
18- समय का पता नहीं चलता दोस्तों के साथ, मगर दोस्तों का पता चल जाता है वक़्त के साथ।
19- यहाँ सब गद्दार है, यहाँ जो दोस्ती की दुनिया है यहाँ सब मतलब के यार है।
20- वो पत्थर कहाँ मिलता है बताना ज़रा ऐ-दोस्त, जिसे दिल पर रख कर लोग एक दुसरे को भूल जाते है।
21- रिश्ता निभाने का हुनर हमने दुश्मनों में देखा है दोस्तों में तो बस दग़ाबाज़ी देखी है।
22- दोस्ती बचपन में निभाते थे आज सब मतलब निभाते हैं।
23- मतलब का सिक्का अब इस तरह चलता है, अब दोस्त से दोस्त नहीं मिलते मतलब से मतलब मिलता है।
24- सच्चे दोसतों की एक निशानी होती है, वो मिलने के लिए वक़्त और मतलब नहीं ढूंढते।
25- पहले शाम निकलती थी साथ बैठ कर, अब काम निकलते हैं साथ बैठ कर।
26- वाकिया कड़वा ही मगर सच्चा है, दो चेहरे वाले दोस्तों की दोस्ती से अकेलापन अच्छा है।
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