अध्यात्म अपने आप में इस दुनिया का सबसे बड़ा पाठ है जिसे एक महान अध्यापक ही पढ़ा सकता है। हमारा इन Spritual Quotes in Hindi की सूची प्रदान करने का मुख्य उद्देश्य है की आप और हमारे जितने अन्य पाठक है वह अपने जीवन की कुछ उलझनें को इन गुणी वाक्यों के तहत सुलझा सकेगा।
आज के यह हमारे हिंदी कोट्स आपके जीवन को पूर्णतः बदल देंगे और आप अपने जीवन में एक सकारात्मक स्तिथि में पहुँच जाएंगे मुझे लगता है आप यह जानने के लिए बहुत उत्सुक होंगे तो चलिए शुरू करते हैं।

1- आध्यात्मिकता का अर्थ है भक्ति आप जिस कार्य को जिस भी समय पर पूर्ण कर रहे हैं पूर्ण मन से कीजिए यह भी अध्यात्म का ही हिस्सा है।

2- जब व्यक्ति समाज से जुड़ी वस्तु को पाने का लोभ छोड़ कर समाज की भलाई के बारे में सोचना शुरू कर लेता है, तब वह अध्यात्म को प्राप्त कर लेता है।

3- ईश्वर की भक्ति मंदिर जा कर देर तक बैठना नहीं है, अपितु थोड़ी देर के लिए ही सही परन्तु एकाग्रित एवं सम्पूर्ण मन से ईश्वर को याद करना है।

4- जो मन इर्षा एवं द्वेष से मुक्त हो जाता है उस मन में ईश्वर का घर होता है।

5- धीरज जैसे निर्मम गुण से जो व्यक्ति मित्रता कर लेता है, वह व्यक्ति फिर शांतिप्रिय एवं आनंदित जीवन व्यतीत करना प्रारम्भ कर देता है।

6- एक व्यक्ति अपनी राह भटक जाता है जब वह पूर्णतः लोभ में डूब जाता है।

7- व्यक्ति के नश्वर शरीर की अनगिनत इच्छाएं होती है, परन्तु अमर आत्मा की केवल एक इच्छा होती है और वह है शान्ति की प्राप्ति।

8- आप अपने ह्रदय में किसी के प्रति द्वेष पाल कर कभी भी ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं।

9- मोक्ष प्राप्ति के लिए मृत्यु प्राप्ति आवश्यक नहीं है, आप समाज सुधारक कार्य कर भी मोक्ष की प्राप्ति कर सकते हैं।

10- अध्यात्म प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं की आप मोह को त्याग कर ईश्वर से प्रार्थना करें।

11- अध्यात्म का अर्थ स्वयं भक्ति करना है इसका अर्थ किसी से बलपूर्वक भक्ति का पालन करवाना नहीं है।

12- मानव को अपना हर गुण त्याग देना चाहिए, परन्तु मानवता का गुण नहीं।

13- आपकी शारीरिक वृद्धि का कोई लाभ नहीं है जब तक आपके भीतरी विचार अत्यंत छोटे हैं।

14- घृणा का स्त्रोत स्वयं रुक जाएगा जब हर मानव एक प्रेम स्त्रोत बन जाएगा।

15- बुरे कर्मों को त्यागना अत्यंत कठिन होता है, क्यूंकि उनका पालन करना अत्यंत सरल होता है।

16- मानव को केवल एक आदत का आदि होना चाहिए, और वह है ईश्वर की भक्ति।

17- जिस व्यक्ति के भीतर भक्ति का गुण आ जाता है, उस व्यक्ति के सभी निर्गुण स्वयं ही समाप्त हो जाते हैं।

18- अध्यात्म वह ग्रन्थ है जिसके भीतर सम्पूर्ण संसार का ज्ञान निहित है।

19- हर जीव हर जंतु पर दया कीजिए फिर चाहे उस जीव या जंतु ने आप को कितना ही हानि पहुँचाने का प्रयास किया है।

20- अध्यात्म की प्राप्ति के पश्च्यात व्यक्ति दूसरे के कर्मों पर ध्यान केंद्रित करना बंद कर अपने कुकर्मों को सुकर्मों में परिवर्तित करना प्रारम्भ कर देता है।

21- सम्पूर्ण संसार का धर्म केवल एक है, और वह है इंसानियत का धर्म।

22- एक व्यक्ति की उत्पत्ति का उद्देश्य किसी अन्य वस्तु अथवा व्यक्ति को प्राप्त करना नहीं है, अपितु खुद को प्राप्त करना है।

23- द्वेष एक व्यक्ति को उसके मुख्या उद्देश्य से भटकाने के लिए बिछाया गया जाल है जो वह स्वयं खुद के लिए बुनता है।

24- एक सवेरे से भटके हुए व्यक्ति को राह दिखाने का साहस केवल ईश्वर के चरणों में है।

25- जब एक व्यक्ति पूर्णतः जीवन के अर्थ को समझ लेता है, तब वह इस बात से परिचित हो जाता है की उसके हाथों में केवल उसका आज है।

26- सम्पूर्ण सृष्टि के नीव मानव नहीं अपितु मानवता है।

27- ईश्वर कभी भी आपकी संपत्ति को आधार नहीं मानता ईश्वर केवल आपके कर्मों और कुकर्मों के आधार पर आपको फल देता है।

28- आपकी श्रेष्ठता का मापक आपके वस्त्र अथवा संपत्ति नहीं अपितु आपके कर्म है।

29- अध्यात्म की प्राप्ति के लिए एक व्यक्ति के भीतर त्याग का गुण होना अतिआवश्यक है।

30- एक व्यक्ति की परीक्षा लेने वाला एवं उस परीक्षा में साथ देने वाली शक्ति केवल एक है एवं उस शक्ति का नाम ईश्वर है।
31- तृप्ति कभी भी सब कुछ पा कर नहीं मिलती अपितु सब कुछ त्याग कर मिलती है।
32- भक्ति एक वार्तालाप के सामान है, उस से जिससे हम और जो हम से प्रेम करता है।
33- एक व्यक्ति को कभी भी उपेक्षित महसूस नहीं करना चाहिए, क्यूंकि उसका ईश्वर हमेशा उस पर अपनी दृष्टि बनाए हुए है।
34- किसी कुकर्म को इस कारण परिणाम मत दीजिए की कोई आप को नहीं देख रहा है, क्यूंकि ईश्वर हर समय हर व्यक्ति को देख रहा है।

35- जब आप ईश्वर पर विशवास रखते हैं तब आपका आत्मविश्वास सदैव बना रहता है।
36- ईश्वर की कभी अवहेलना मत कीजिए, क्यूंकि अगर आप जिस स्तिथि में है उसका कारण ईश्वर है तो अगर आप है इसका कारण भी ईश्वर है।
37- दान करने से पुण्य उसी व्यक्ति को मिलता है, जिसका कमाया हुआ धन किसी से छीना हुआ न हो।
38- आपकी अंतर आत्मा की प्रसन्नता सदैव सुकरोमों में निहित होती है।
39- जो आ रहा है उसे आने दें, जो जा रहा है उसे जाने दें, और अपना ध्यान केवल उस पर केंद्रित कीजिए जो बचा हुआ है।

40- हमारे नाम से हमारी पहचान नहीं है, अपितु हमारी अंतर आत्मा जिसका कोई नाम नहीं है वह हमारी असल पहचान है।
41- आपके जीवन में रिश्ते बनेंगे रिश्ते टूटेंगे परन्तु एक रिश्ता है, जो बना रहेगा और वह है ईश्वर से आपका रिश्ता।
42- ईश्वर को पाने का प्रयास मत कीजिए, बस उन्हें यतार्थ मन से याद कीजिए वह आपको नज़र आ जाएंगे।
43- आप जीवन को जीना शुरू कर देंगे जब आप अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना शुरू कर देंगे।
44- अंततः सब नष्ट हो जाएगा परन्तु रह जाएगा तो वह आपके अच्छे कर्म।

45- आप आपके चारों और चल रहे कुकर्मों को नहीं ठीक कर सकते, परन्तु आप खुद सुकर्म कर सब ठीक कर सकते हैं।
46- ईश्वर पर भय के कारण विशवास मत कीजिए, अपितु विशवास कीजिए ताकि आपको किसी चीज़ का भय न हो।
47- जब विशवास है तो ईश्वर भी पास है, अथवा आपके सबसे नज़दीक भी आप से दूर है।
48- ईश्वर कल्पना नहीं अपितु समस्त संसार उन्ही के कारण संभव हो सका है।
49- एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से ना ही ऊपर है न ही नीचे है अपितु बराबर है।
50- एक मानव का जुड़ाव केवल ईश्वर और मानवता से होना आवश्यक है।
आशा करता हूँ आपको यह लेख पसंद आया होगा आप हमे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी फॉलो कर सकते हैं। अध्यात्म का पूर्ण अर्थ समझने के लिए यहाँ पर क्लिक करें

Manish mandola is a co-founder of bookmark status. He is passionate about writing quotes and poems. Manish is also a verified digital marketer (DSIM) by profession. He has expertise in SEO, GOOGLE ADS and Content marketing.