
1- वो घाव खंजर नहीं कर पाता जो जुबां कर जाती है, वो असर दवा नहीं कर पाती जो दुआ कर जाती है।

2- सनम ने जख्म सारे बदन पर दिए फिर भी पूछता है मुझसे कुछ हुआ तो नहीं।

3- इतिहास गवाह है इश्क़ में एक सच्चा तो एक बेवफा रहा है।

4- आसान तो नहीं होगा तुझे भुला देना पर शायद ज़रूरी हैं तुझे भुला देना।

5- रिश्ते तोड़ने की भी कोई वजह होनी चाहिए, जो खामखा तोड़े उसे सजा होनी चाहिए।
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6- ना सजा मिलती है ना गवाही होती है, इसलिए हर शक़्स के साथ यहाँ खुले-आम गुनाह-ऐ-बेवफाई होती है।

7- ना जाने ये ज़िन्दगी मेरी मुझसे कैसी खफा थी, मुझे उससे वफ़ा थी जो बेवफा थी।

8- अगर बेवफाई गुनाह होती तो आज आधा जहाँ गिरफ्तार हो जाता।

9- वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।

10- ज़माना ऐसा है की जो बाघ में फूल लगाए वही फूल तोड़ते है, जो साथ निभाने का वादा करते है वही सबसे पहले साथ छोड़ते है।
11- वादा उम्र भर का था और साथ चार पल का था, वो वादा झूठा था या शायद प्यार ही असल ना था।
12- क्यों मिली मुझे ये जुदाई की सजा, हर अश्क़ आँखों से बहता पूछता है मुझसे तेरी बेवफाई की वजह।
13- तकलीफ ज्यादा तो होनी थी बेवफाई का गुनाह उसने किया था और सजा मैं भुगत रहा हूँ।
14- हवस की तलाश में इश्क़ की मौत हुई, इश्क़ के बेगुनाह होने के बावजूद भी इश्क़ ही बदनाम हुआ इश्क़ को ही सजा हुई।

15- वो जो खुद वफ़ा निभा ना सके हमसे रिश्ता तोड़ने की वजह हमारी बेवफाई बताते हैं।
16- इश्क़ वो अदालत है साहब जहाँ गुन्हेगार बा-इज़्ज़त हो जाते हैं और मासूम बेइज़्ज़त हो जाते हैं।
17- दिल देने आए थे दिलासा दे कर चले गए, वो वफ़ा करने आए और खफा कर के चले गए।
18- मुझे ढूंढ लेती है रोज़ एक नए बहाने से तेरी याद वाकिफ हो गई है मेरे हर एक ठिकाने से।
19- झूठे वो वादे झूठी वो कसमें, सारी दुनिया को छोड़ आखिर तूने किया क्यों सिर्फ मुझसे।

20- अगर बेवफाई ही करनी थी तो मुझसे क्यों तलाशा कोई खुद सा ही ढूंढ लेते।
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21- इश्क़ में इतनी नाकामी मिली मुझे पर मेरे इश्क़ में ना एक कमी मिली मुझे।
22- किरदार बेवफाई का तूने दिखा ही दिया, इश्क़ कुछ नहीं बस मतलब पूरा करने का जरिया है सनम ये तजुर्बा भी तूने मुझे सीखा ही दिया।
23- वो बेवकूफ है जो धोका खाने के बाद भी इश्क़ करने की सलाह देते हैं, पहले खुद जलते हैं इस आग में फिर दूसरों को भी इसमें जला देते हैं।
24- हर बेवफा में एक खासियत ज़रूर होती है उनका हर वादा सच लगता है और उनकी हर गलती झूठ।
25- तुम मौसम तो नहीं थे जो बदल गए, तुम सिक्के तो नहीं थे जो पलट गए ।
26- मुझे छोड़ने की वजह तो देते, मुझसे नाराज़ थे या मुझ जैसे हज़ार थे तेरे पास बता तो देते।
27- मत कहना मुझे फिर से वफ़ा करने को बड़ी मुश्किल से समेटा है टूटे दिल के टुकड़ों को मैंने।
28- साथ जीने का वादा जिसने मुझसे किया था आज वही वजह बन चुके है हमारी ख़ुदकुशी के।
29- पछताओगे तुम भी हमसे बेवफाई कर याद रखना अच्छी चीज़ें और अच्छे लोग बार-बार नहीं मिलते।
30- आंसू मेरे तेरी बेवफाई के सबूत हैं, हर वादा हर कसम तेरी दी हुई झूठ है।
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31- मुझे इंतज़ार है ज़िन्दगी के आखिर पन्ने का, सुना है आखिर में सब ठीक हो जाता है।
32- अक्सर जिनसे मोहोब्बत बेइन्तेहाँ होती है वो बेवफा ही होते हैं।
33- वो जो मुझे हमेशा बुरा बताते हैं वो जानते नहीं मैं हमेशा से बुरा नहीं था।
34- बहार से शांत दिखने के लिए सभी को अंदर ही अंदर लड़ना पड़ता है खुद से।
35- नींदें फरार है आँखों से मेरी, काफी दिन हो गए आज उसे देखे हुए।
36- तुझे चाहकर गलती करदी मैंने, आज़माना चाहिए था पहले जल्दी करदी मैंने।
37- तुझ पर यक़ीन क्या कर बैठा मैं, मेरा तो खुद पर से भरोसा उठ गया
38- अब भला क्या कहा जाए ज़िम्मेदारी के दबाव का, अब चुप रहने लगा है वो शख्स जो पहले हाज़िर जवाब था।
39- बोलती बंद नहीं हुई मेरी अब बस बोलना बंद कर दिया है मैंने।
40- क़र्ज़ नहीं सिर्फ वक़्त मांग रहा हूँ मैं, सनम तुम ऐसे मुँह मत बनाया करो।
41- खनजर का काम मुँह ज़ुबानी से कर लेते हो, इतने मुश्किल काम बड़ी आसानी से कर लेते हो।
42- ज़िन्दगी हवालात बन गई है मेरी, मैं अब इससे बहार निकलना चाहता हूँ।
43- ये जो दिल का मर्ज़ हुआ है इसकी दवा क्या है, मुझे ये तो बता ज़िन्दगी मेरी खता क्या है।
44- तेरी चोट का दर्द भी मुझे हो, जो तू मांगे उधार किसी से तो क़र्ज़ भी मुझे हो।
45- पता नहीं लगता दर्द कब नज्म में बदल जाती है, पता नहीं लगता खरोच कब झख्म में बदल जाती है।
46- खता कर के भी खुद ही नाराज़ होना, ये तेरी कौन सी अदा है सनम।
47- कभी मेरी तरह सोच कभी मेरी तरफ तो देख, कभी अपने दर्द भुला कर मेरे जखम तो देख।
48-कभी पुछा नहीं तूने इसीलिए कभी बताया नहीं मैंने, मोहोब्बत बेइन्तेहाँ की मैंने बस जताया नहीं मैंने।
49- तू नाशुक्र है मुझे इस बात का भी शुक्र है, तेरी बद्दुआओं में ही सही आखिर कहीं तो मेरा ज़िकर है।
50- बस चुप हूँ नाराज़ नहीं हूँ मैं, नाउम्मीद हूँ बस उदास नहीं हूँ मैं।

Manish mandola is a co-founder of bookmark status. He is passionate about writing quotes and poems. Manish is also a verified digital marketer (DSIM) by profession. He has expertise in SEO, GOOGLE ADS and Content marketing.