आज कल के तनाव भरे दौर में हम ना चाहते हुए भी हर कोई अपने विचारों में कुछ नकारात्मकता लिए हुए घूमते हैं। इस मुश्किल दौर में सकारात्मक सोच रखना असंभव सा लगता है।
फिर चाहे वह एक विद्यालय जाने वाला विद्यार्थी हो या फिर नौकरी पर जाने वाला एक युवा एवं व्यस्क। सभी किसी न किसी वजह से नकारात्मक विचारों से खुद को घेरे हुए हैं।
स्वागत है दोस्तों आप सभी का बुकमार्क स्टेटस के एक और दिलचस्प लेख में जिसका विषय है सकारात्मक सोच (Positive thinking),
सोचिए अगर दुनिया में सभी सकरात्मकर सोचने लग जाएं तो यह दुनिया कितनी खुशहाल हो जाएगी।
आज इसीलिए दोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आएं है यह खूबसूरत लेख जिसमे हम आपको बताएंगे सकारात्मक सोच क्या है? इसके फायदे क्या है? बुरा वक़्त में भी सकारात्मक कैसे रहा जा सकता है।
तो चलिए दोस्तों अब बिना किसी बेवजह की वार्तालाप के शुरू करते हैं।

सकारात्मक सोच (Positive Thinking क्या है)
सकारात्मक सोच एक मानसिक विचारधारा का दृष्टिकोण है जिसमें आप अच्छे और अनुकूल परिणाम की उम्मीद करते हैं।
दूसरे शब्दों में, सकारात्मक सोच मानवीय शरीर में एक ऊर्जा का निर्माण करता है जिससे आप किसी भी कार्य एवं अवस्था का अंत बेहतर तरीके से कर पाते हैं ।
एक सकारात्मक दिमाग किसी भी स्थिति में खुशी, स्वास्थ्य और सुखद अंत की प्रतीक्षा करता है।
दुनिया का हर सफल व्यक्ति सभी को एक सलाह ज़रूर देते हैं और वह यह है की आप सकारात्मक सोचें, पर क्या कभी आपने यह सोचा है की वह ऐसा क्यों कहते हैं?
क्या आप जानते हैं की की सकारात्मक सोच के कितने फायदे हैं? आइए देखते हैं सकारात्मक सोच के कितने लाभ हैं।

सकारात्मक सोच के लाभ (Benefits of Positive thinking)
जब हम किसी व्यक्ति के मुख से यह सुनते है की सकारत्मक सोचें तो हमे लगता है की ज़िन्दगी आसान होती तो हम भी सकारात्मक सोच लेते
एक बात मैं यहाँ साफ़ कर दूँ ज़िन्दगी किसी की भी आसान नहीं है मुसीबतें दोनों के सामने आती है फिर चाहे वहव्यक्ति नकारात्मक सोचता हो या फिर सकारात्मक।
मुसीबतों के वक़्त सकारात्मक सोचना असंभव है यह वाकया केवल एक मिथक मात्र से बढ़कर और कुछ नहीं। परन्तु लोग इसे सच समझ कर मुश्किल वक़्त में सकारात्मक सोचने का प्रयास ही नहीं करते।
दोस्तों ऐसे मिथकों को दूर करने के लिए ही आज हम आप को बताएंगे की अपनी सोच को सकारात्मक कैसे बनाएं।
इन दस tips का इस्तेमाल कर आप भी अपनी नकारात्मक सोच को छोड़ सकारात्मकता को अपने जीवन में ला सकता हैं।
तो आइए इन्हे पढ़कर अपने जीवन में लागो करें और सकारात्मक जीवन का आनंद लें।

1. आत्मविश्वास का बढ़ना (Confidence boost)
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में पाया गया है कि कोई भी interview में किसी व्यक्ति को उसके दृष्टिकोण (Thinking) के कारण 85% नौकरी मिलती है।
अन्य केवल 15% वे कितने स्मार्ट होते हैं और वे कितने तथ्यों और आंकड़ों को जानते हैं इस के कारण उन्हें नौकरी मिलती है।
अगर हम उपर्युक्त बात की और ध्यान दें तो हमारे दिमाग में एक सवाल यह ज़रूर आएगा की वह क्या सोचता है ?
उस व्यक्ति की सोच कैसी होगी जो किसी नौकरी को प्राप्त करने में राह आसान कर देती है?
इसका सीधा सा उत्तर है सारात्मक सोच अगर कोई व्यक्ति किसी कार्य की शुरुवात यह सोच कर करता है की शायद यह कार्य मुझ से नहीं हो पाएगा तो काफी हद तक यह संभावना है की वह व्यक्ति वह कार्य नहीं कर पाएगा क्यूंकि हमारी सोच का हमारे विचार से हमारे शरीर की कार्यवाही निर्धारित होती है।
किसी भी कार्य को करने से पहले यदि आप यह सोचते हैं की मैं इस कार्य को आसानी से कर सकता/सकती हूँ।
जो की एक सकारात्मक सोच है तो यकीन मानिए ये सोचने भर से आपका आत्म विशवास बढ़ जाएगा और वह कार्य करने की क्षमता आप के अंदर आ जाएगी।

2. एक बेहतर शुरुवात की शुरुवात (A start for the good Start)
किसी कार्य के अच्छे परिणाम तभी आते है जब हम उस कार्य की शुरुवात करते हैं परन्तु नकारात्मक सोच के साथ क्या कोई व्यक्ति अच्छी शुरुवात कर सकता है इसका उत्तर है असंभव।
आपने भी अपने आस पास देखा होगा कई लोग किसी कार्य की यह सोच कर ही शुरुवात नहीं कर पाते की वह कार्य बहुत कठिन है या फिर उनके पास हुनर नहीं है तो फायदा क्या हुआ वह शुरुवात ही नहीं कर सके।
इसीलिए बेहतर शुरुवात के लिए यह अति आवश्यक हैं की आप अपनी सोच को हर हाल में सकारात्मक रखें।

3. सकारात्मक सोच से एक बेहतर व्यक्तित्व का निर्माण (Building a better personality through positive thinking)
आपकी सोच कैसी है इस से बड़ी आसानी से पता लगाया जा सकता है की आपका व्यक्तित्व कैसा है।
अर्थात अगर कोई व्यक्ति हर कार्य के लिए बस इंकार ही करता है या फिर कुछ ऐसे लोग जो हर चीज़ का अंत बुरा बता कर कोई कार्य करने से पहले ही आप को रोक देते हैं।
ऐसे व्यक्तित्व वाले व्यक्ति की सँगत असल में कोई पसंद नहीं करता हैं।
परन्तु अगर आपकी सोच सकारात्मक है और आप दूसरों को भी अपनी सकारात्मक सोच से प्रेरित करते हैं तो लोग न सिर्फ आपकी सँगत को पसंद करेंगे एवं आपके व्यक्तित्व की तारीफ भी करने लग जाएंगे।
सकारत्मक सोच आपके व्यक्तित्व के नीव है ज़रूर प्रयास कीजिएगा की आपकी नीव मज़बूत हो।

इस तनाव भरी ज़िन्दगी में तनाव का मुख्या कारण क्या है इसका उत्तर भी काफी साधारण सा है अपने भविष्य के बारे में सोचना या फिर कहें की नकारात्मक सोचना।
जैसा की मैंने पहले भी कहा था की सकारात्मक सोच है का अर्थ है हर कार्य के परिणाम के बारे में बेहतर सोचना मतलब जो भी होगा अच्छा ही होगा।
अगर कोई व्यक्ति बार बार यही सोचता रहता है अगर कल कुछ ऐसा हो जाए की मैं परेशान हो जाऊँ तो ऐसी सोच आप सभी को बेवजह का तनाव दे सकती है।
इसका भी अचूक इलाज है सकारात्मक सोच अगर आप यह सोचें की परिणाम जो भी हो अच्छा ही होगा तो यक़ीन मानिए आप एक तनाव रहित ज़िन्दगी का आनंद ले सकेंगे।

5. हमेशा खुश रहने का राज़ सकारात्मक सोच (The secret to always being happy is positive thinking)
इंसान के दुखी होने के कुछ कारण अत्यधिक सोचना नहीं है इंसान के दुखी होने का कारण अत्यधिक गलत सोचना है।
एक सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति जो हर बात में कुछ अच्छा देखने की कोशिश करता है और एक दुखी व्यक्ति हर ख़ुशी में भी कुछ कमियां निकल देता है।
तो क्या पहला व्यक्ति खुश रहेगा या फिर दूसरा जवाब आसान है पहला क्यूंकि ज़िन्दगी कभी भी सम्पूर्ण नहीं होती जिसके पास वक़्त है वह धन-दौलत की तलाश में परेशान है और जिसके पास बहुत धन-दौलत है वह वक़्त की कमी को लेकर परेशान है।
अब अगर कोई भी सकारात्मक सोचे तो वह हमेशा खुश रहेगा क्यूंकि वह जानता है की ज़िन्दगी कभी भी पूरी तरह से सुखद नहीं हो सकती हैपर अंत में जो होगा उसके भले के लिए ही होगा।
अब जब आप जान चुके हैं की सकारात्मकता जीवन की अति आवश्यक ज़रुरत है तो एक एक और उलझन है और वह ये की मुश्किल वक़्त (Tough Times) में भी सकारात्मक कैसे सोचें ?
आइए अब इस उलझन को सुलझा लेते हैं।

10 Ultimate Tips to Think Positive

1. बीते बुरे वक़्त के बारे में सोचना छोड़ दें (Stop thinking about the bad past)
ज़िन्दगी कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो मुसीबतें नाकामियां, परेशानियां सभी की ज़िन्दगी में आती है और सभी उन्ही नाकामियों को याद कर-कर के अपने वर्तमान जीवन को जीना छोड़ देते हैं
जैसे ही वह कुछ नया करने की सोचते हैं उनका भूतकाल उन्हें याद दिला देता है की पहले भी तुमने कुछ नया करने की कोशिश की थी पर तुम नाकाम हो गए थे और यही नकारात्मक सोच सकारात्मकता पर भारी पड़ जाती है और आप वह कार्य नहीं कर पाते।
इसीलिए अगर आप सकारात्मक सोच का निर्माण करना चाहते हैं तो अपने पुराने हादसे और नाकामियों को पीछे छोड़ दीजिए और अगर आप भूतकाल के बारे में सोचना छोड़ना चाहते हैं तो ये देखिए की आप को उन हादसों से गलतियों से क्या सीखने को मिला
इस बार उन गलतियों को करने से खुद को रोक लेना इस से आप दोबारा गलती दोहराने से भी बच जाएंगे और आप सकारात्मक सोच भी बना पाएंगे।

2. अपनों के साथ अच्छा वक़्त गुजारिए (Have a good time with your loved ones)
आप नकारात्मक हो जाते हैं जब आप अकेले रहना शुरू कर देते हैं और हर मुश्किल से अकेले ही लड़ने की कोशिश करते हैं।
ऐसे में आप किसी भी परिस्तिथि में जब आप बहुत सारी दुविधाएं लेकर अपने मन में घूमते हैं तो आप तनाव में आ जाते है
अब अगर आप अपनों के साथ रहेंगे अपने दोस्तों अपने माता-पिता अपने परिवार के संग रहेंगे तो खुशहाल जीवन व्यतीत कर पाएंगे और आपके परिवार वाले अब आपके हर सुख दुःख में साथ रहेंगे तो आप खुद ही सकारात्मक सोचने लग जाएंगे।

3. अपनी सफलता मिलने के बाद अपने आने वाले के दिनों के बारे में सोचें (Think about the days after your success)
जब भी हम कुछ मुसीबतों से जूझ रहे हैं तो वह वक़्त आसान नहीं होता मुसीबतें हमे झुकाने की पूरी कौशिशें करती हैं पर उस वक़्त आप यह सोचें की अगर मैंने इस मुसीबत से झूझ कर इसे पार कर लिए तो मुझे इस से क्या लाभ मिलेंगे
यह मेरी ज़िन्दगी को किस तरह से खुशहाल कर देगा और ऐसा सोचने भर से आप ना सिर्फ उत्साहित हो उठेंगे अपितु इसके बाद आप सकारत्मकता से भर जाएंगे और उस मुसीबत से हसी ख़ुशी लड़ने को तैयार हो जाएंगे और बहार भी आ जाएंगे।

4. भविष्य के बारे में अत्यधिक न सोचें (Don’t Overthink about future)
जिस प्रकार भूतकाल में बीते कुछ बुरे अनुभव हमे नकारात्मकता से भर देते हैं उसी प्रकर भविष्य के बारे में अत्यधिक सोचना भी हमे नकारात्मकता से भर देता है।
आज इस तनाव भरे दौर में एक विद्यार्थी सबसे ज्यादा इस परेशानी से जूझ रहा है। एक विद्यार्थी जिसका जीवन अभी शुरू ही हुआ है वह अभी सफलता के लिए संघर्ष कर रहा है।
वह अक्सर इसीलिए नकारात्मक हो जाते हैं क्यूंकि वह अपने भविष्य के बारे में अत्यधिक सोचते हैं और नकारात्मक हो जाते हैं अगर वह भविष्य के बारे में अत्यधिक सोचना छोड़ कर अत्यधिक वर्तमान में जीना शुरू कर दे तो वह भी सकारात्मक सोच का निर्माण कर सकरे हैं।

5. खुद को माफ़ करना सीखें (Learn to forgive yourself)
हम सभी के जीवन में कुछ उपलब्धियां है कुछ भूल हैं कुछ खुशियां है कुछ गम है। आपने यह ज़रूर सुना होगा की इंसान गलतियों का पुतला है और अगर कोई गलती गलती से हुई है तो हमे उस गलती के लिए खुद को गलत नहीं समझना चाहिए।
इस एक छोटी सी बात से हम वक़्त वक़्त पर नकारात्मकता के शिकार हो जाते हैं किसी गलती का पछतावा होना ज़रूरी है परन्तु जब आप समझ चुके हैं की यह सही नहीं था और आप उसे दोबारा नहीं दोहराते तो इसमें कोई बुराई नहीं की उन बीती हुई गलतियों के लिए खुद को पूरी तरह माफ़ कर दें और अपनी आगे की ज़िन्दगी सकारात्मक सोच के साथ गुज़ारें।

6. खुद से अथवा दूसरों से वार्तालाप करते वक़्त सकारात्मक शब्दों का प्रयोग करें (Use positive words when talking to yourself or others)
जितना वार्तालाप हम दूसरों से नहीं करते उस से ज्यादा बातें हम खुद ही से करते हैं और बार-बार हम खुद से या फिर अन्य लोगों से हम कुछ ऐसे नकारात्मक शब्दों का प्रयोग करते हैं।
इसी कारण हमारी सोच नकारात्मक हो जाती है और हम अपने कार्य को अपनी पूरी लगन एवं पूरी क्षमता से नहीं कर पाते।
ऐसे शब्द के कुछ उदाहरण है मैं यह नहीं कर सकता, मुझसे नहीं होगा ऐसे कुछ नकारात्मक शब्द आपकी सोच नकारात्मक बना देंगे और आप न सकारात्मक सोच बना पाएंगे और न ही कुछ सकारात्मक कर पाएंगे।
इस दुविधा से निकलने का सबसे सरल रास्ता यही है की हम नकारात्मक शब्दों को सकारात्मक शब्दों से बदल दें।
जैसे उदाहरण के तौर पर मैं यह नहीं कर सकता को बदल कर मैं कर सकता हूँ, ,मुझ से नहीं होगा को बदल कर मुझ से ही होगा कर दीजिए।
इस से न सिर्फ आपकी सोच सकारात्मक होगी एवं आप अपनी पूरी क्षमता से किसी कार्य को करने की कोशिश कर पाएंगे।

7. नकारत्मक वातावरण से सकारात्मक वातावरण की तरफ प्रस्थान (Departure from negative environment to positive environment)
हमारी नकारात्मकता का कारण कहीं हमारा वातारण तो नहीं अर्थात कहीं ऐसा तो नहीं की हमारी नकारात्मकता का कारण हमारे आसपास ही छुपा है।
कई दफा ऐसा होता है की हमने अपने आस पास का माहौल ऐसा बना लेते हैं की हम सकारात्मक नहीं हो पाते
उदहारण के लिए जैसे ऐसा संगीत सुन्ना जिसके बोल आपको नकारात्मक सोचने पर मजबूर कर दे या फिर कुछ ऐसी फिल्में जिन्हे देख कर आप अपनी नाकामियों को याद करने लग जाते हैं और अपनी कामियाबियों के बारे में सोचना ही भूल जाते हैं।
ऐसा भी हो सकता है की हम ऐसे लोगो के साथ उठते बैठते हैं जो केवल आपको निराश कर देने वाली बातें करते हैं इन सभी चीज़ों से मिलकर बनता है एक नकारात्मक वातावरण।
इसे तब्दील करने के लिए आपको अपने वातावरण को तब्दील करना अति आवश्यक है जैसे उन लोगों के साथ उठना बैठना छोड़ दें जिनकी बातें आप को निराश करती हैं।
उन गानों (संगीत) को सुन्ना छोड़ दीजिए जिसके बोल आपको निराश करते हैं इसकी बजाय वह गाने सुने जो आपके भीतर एक सकारात्मक ऊर्जा भर दें ऐसे सनगीत को चुनिए जिसके बोल प्रेरणात्मक है।
अंत में मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा हर उस चीज़ व्यक्ति से दूर रहे जिनकी वजह से आपकी सोच नकारात्मक होती जा रही है और अपने वातावरण में उन सभी चीज़ों को रखिए जिनसे आपकी सोच सकारात्मक हो जाए।

8. अपने उन नकारात्मक गुणों को ढूंढिए जिन्हे बदला जा सकता है (Find your negative qualities that can be changed)
अपनी उन नकारात्मक गुणों को ढूंढिए जिन्हे बदला जा सकता है इसका अर्थ क्या है इसका अर्थ सीधा सा है कुछ गुण भगवान् के दिए हुए हैं और उनमे कुछ भी कमियां नहीं है
आप बस उन गुणों को अपने भीतर के नकारात्मक गुणों में गिनते है क्यूंकि हो सकता है लोग बस उसका मज़ाक उड़ाते हों जैसे की कोई शारीरिक अंग परन्तु मैं इन गुणों की बात नहीं कर रहा यह सब भगवान् की देन हैं और हमे इन गुणों के कारण अपना रवैया नकारात्मक नहीं करना चाहिए।
यहाँ मैं उन गुणों की बात कर रहा हूँ जो हम बदल सकते हैं जैसे हो सकता है आप अत्यधिक समय अपना बेवजह के कार्यों में ख़राब कर देते हैं और फिर बाद में आप इस के बारे में सोच कर आप नकारात्मक सोचने में मजबूर हो जाते हैं।
ऐसे नकारात्मक गुणों को ढूंढ कर उन्हें ठीक कर आप अपनी सोच और अपने जीवन को सकारात्मक बना सकते हैं।

9. अपने जीवन की अच्छी चीज़ों पर ध्यान दे (Focus on the good things in your life)
हम सभी एक उदाहरण आए दिन अपने जीवन में सुनते रहते हैं और वह यह है की “एक ग्लास में आधा पानी है कोई उसे आधा भरा हुआ कहता है तो कोई उसे आधा खाली” यही है फ़र्क़ सकारात्मकता और नकारात्मकता में।
सकारात्मक व्यक्ति कुछ हादसों में भी कुछ अच्छा ढून्ढ ही लेता है और इ नकारात्मक व्यक्ति सब कुछ ठीक हो उसके बावजूद भी कुछ न कुछ अपने जीवन म कमी निकल ही लेता है।
अगर आप वाकई एक सकारात्मक इंसान बनना चाहते हैं तो हमेशा हर बुरे में भी कुछ अच्छा देखिए।
वह इस प्रकार अच्च् हो सकता है उस हादसे से आपको कोई सीख मिली हो जो आपके जीवन जीने के तरीके को ही बदल दे तो यही छोटी चीज़ें अगर हम ध्यान रखें तो हम बुरे वक़्त में भी सकारात्मक सोच बरकरार रख सकते हैं।

10. अध्यात्म को जीवन का भाग बनाइए (Make spirituality a part of life)
आध्यात्मिकता का अर्थ है विशवास, विशवास ईश्वर पर, विश्वास एक ऐसी ताक़त पर जो दिख नहीं रही परन्तु आप उस पर विश्वास करते हैं आप विशवास करते है की अंत में जो भी होगा वह सही होगा या फिर जो भी हो रहा है किसी कारणवश है।
आध्यात्मिकता सकारात्मक जीवन जीने के लिए अतिआवश्यक है क्यूंकि शांत मन ही सकारात्मक विचारों का घर होता है इसीलिए हमे आध्यात्मिकता अपना लेना चाहिए ताकि हमारा मन शांत हो एवं हम सकारात्मक सोच सकें।
असाल में सकारात्मकता एवं आध्यात्मिकता दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं एवं दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं इसीलिए सकारात्मकता और आध्यात्मिकता दोनों ही हमारे जीवन को सुगम बनाने के लिए अतिआवश्यक हैं।
क्या हम हर पहलु पर सकारात्मक सोच रख सकते हैं सकते हैं?
एक सवाल जो रोचक है और वह यह है की क्या हम हर पहलु या फिर यूँ कहे की हर वक़्त सकारात्मक सोच बरकरार रख सकते हैं तो इसका जवाब है हाँ परन्तु हर स्तिथि में हमे सकारात्मक नहीं सोचना चाहिए।
अब आप यह ज़रूर सोच रहे होंगे की मैं अभी तक आप सभी को सकारात्मक सोच के फायदे बता रहा था यह सीखा बता रहा था की सकारात्मक कैसे सोचें पर अब मैं कह रहा हूँ की हर स्तिथि में सकारात्मक न सोचें आइए इस विषय पर थोड़ी और चर्च करें।
जैसा की मैंने आप सभी को सबसे शुरुवात में बताया था की सकारात्मक सोच एक ऐसी विचारधारा है जिसमे हम अच्छे और अनुकूल परिणाम की उम्मीद करते हैं परन्तु क्या करें अगर किसी कार्य का परिणाम अनुकूल हो ही नहीं सकता।
ऐसा कोई भी कार्य जिस का परिणाम किसी भी सामाजिक, आर्थिक, मानसिक, शारीरिक के हित में न हो अपितु इसके अहित में हो ऐसी स्तिथि में सकारात्मक सोच के होने का कोई फायदा नहीं है।
क्यूंकि इसका परिणाम तय है की यह कार्य सही नहीं है ऐसे मौके पर उस कार्य के परिणाम से होने वाले ह्रास को समझ कर वह कार्य न करना ही सकारात्मक एवं सही सोच है।
इसीलिए किसी भी विषय में सकारात्मक सोच रखके उस कार्य को शुरू करना या फिर करते रहना यह ज़रूरी है पर अगर उसके परिणामों से किसी भी समूह का अहित होता है तो उस कार्य को करना सही नहीं है।
अब आपकी बारी (It’s Your Turn Now)
आशा करता हूँ हम आपकी उम्मीदों पर खरे उतरे होंगे आप सभी को हमारा सकारात्मक सोच से जुड़ा लेख पसंद आया होगा और हम आपके कुछ काम आ सके होंगे।
कैसा लगा? हमारा यह लेख हमे नीचे कमेंट बॉक्स मेलिख कर बताइएगा हमे आपके कमैंट्स का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा।
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