बात लगभग 50 साल पहले की है जब विवाह को दो दिलो का मेल न समझकर एक रसम की तरह निभाया जाता था । उस जमाने में सायद ही कोई प्यार करता होगा। जब दो दिल एक दूसरे को जाने बिना अपनी ज़िन्दगी की शुरुआत करते है और जब एक दूसरे के प्रति मान सम्मान की भावना होती है तो प्यार तो हो ही जाता है चलिए आज हम आपको ऐसे कोई लव स्टोरी सुनाते है ।
कविता नाम की लड़की थी वो बहुत चंचल थी दिन भर मस्ती करना, घर में धमा-चोकड़ी करना और इन सब से मन भर जाए तो महोल्ले भर की आंटियों-चाचियों के घर टटोल आना। बस उसका दिन भर का यही काम था।
उसकी उम्र 15 वर्ष की थी वो स्कूल जाती थी और पढ़ने में अच्छी थी वो अपनी नानी के साथ रहती थी। कविता सबकी लाडली थी घर में उसके माता पिता उसकी नानी के साथ ही रहते थे। कविता को पढाई के साथ साथ कढ़ाई बुनाई में भी दिलचस्पी थी।
50 साल पहले बुनाई कड़ाई पर ज्यादा ध्यान देते थे की लड़की को सिलाई बुनाई आनी चाहिए। उसकी नानी जब भी उसकी शादी की बात करती थी तो उसे रोना आ जाता था। लेकिन फिर भी वो नाराज़ नहीं होती थी यही खास बात थी वो किसी भी बात का बुरा नहीं मानती थी। कविता में एक ख़ास बात और थी वो सभी की सहायता करती थी।
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एक दिन कविता के पापा के दोस्त आये घर में उन्होंने कहा – देखो कविता यह वही अंकल है जो तुम्हे बचपन में घुमाया करते थे रोजाना तुम्हे टॉफ़ी देते थे । कविता खिल खिला कर हंसने लगी । उसके अंकल को कविता वहुत ही पसंद आ गयी क्योंकि वो हर चीज़ में निपूर्ण थी।
अंकल ने कविता के पिता से कहा की मुझे अपने बेटे से कविता की शादी करानी है, यह शादी के बाद अपनी आगे की पढाई कर सकती है । कविता के पिता बहुत खुश हुए उसकी नानी भी ख़ुशी से फुले नहीं समां रही थी की कविता की शादी होगी।
लेकिन कविता रोने लगती की सब मुझसे पीछा छूटा रहे है यहाँ से भगाना चाहते है । लेकिन परिवार वाले खुश थे की हमारी फूल से बरती के लिए अच्छे घर से रिस्ता आया है।
खेर यह तो होना था उस ज़माने की बात जो है की एक 15 वर्ष की लड़की को शादी के बाद अपना घर छोड़ना होता है और किसी और के साथ अपनी ज़िन्दगी बितानी होती है यही सच्चाई थी उस ज़माने में ।
देखते ही देखते कविता की शादी हो जाती है फिर यही लगा होता है ससुराल से मायका और मायका से ससुराल । उसके पति से उसकी बहुत लड़ाई होती थी न कविता का पति समझता था न वो कुछ समझती थी । दोनों बच्चो की तरह लड़ते रहते छोटी – छोटी बातों पर।
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एक दिन कविता के पिता लेने आये कविता को तो कविता ने कहा अपने पति से वो अब नहीं आएगी कभी भी । कविता के पति ने कविता से कहा – जाओ मत आओ जब तक मैं लेने नही आ जाता यहा आना भी मत ।

कविता ने कहा पति से नहीं आउंगी अब, मायके में कविता के दिन बहुत अच्छी तरह बीते। जब कोई कविता से उसके पति के बारे में पूछता तो वह चुटकी लेते हुए कहती, “अच्छे हैं, पर थोड़े बुद्धू हैं।” और सब मुस्कुरा जाते…ऐसे ही 15 दिन बीत गए कविता के ससुरजी आये लेने कविता ने मना कर दिया और कहा की में कुछ और दिन रूकना चाहती हूँ उसके ससुर जी ने भी उसका मन रखा और कहा ठीक हैं ।
कविता को अपने पति की याद तो आती थी और उसके पति को भी कविता की याद आया करती थी । लेकिन कविता मजबूर थी की उसका पति लेने आये तो वो जाए । फिर कुछ दिन बाद कविता का देवर लेने आया कविता ने अपनी माँ से कहा वो थोड़े दिन और रुकना चाहती है उसकी माँ भी मना नहीं कर पायी । उसने अपने देवर को कहा वो अभी नहीं आना चाहती ।
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कविता के माता – पिता बहुत परेशान था की यह जा क्यों नहीं रही है कुछ बात तो है जो हमे बता नहीं रही है । उधर कविता के ससुराल वाले परेशान थे की कविता आना क्यों नहीं चाहती । कविता का पति बहुत परेशान था वो किस हैसियत से लाये कविता को।
वह बहुत प्यार करता है उसे यह एहसास हुआ उधर कविता अपने पति के इंतज़ार में थी की कब आये और वो अपने ससुराल जाए । उसे अपने ससुराल की बहुत याद आ रही थी । कविता को भी अपने पति के प्रति प्यार का एहसास हो रहा था।
अगली सुबह कविता का पति उसे लेने आया वो बहुत खिल खिला कर हंसने लगी । और जाने के लिए तैयार हो गयी। दोनों ने एक दूसरे से अपने प्यार का इज़हार किया और अपनी ज़िन्दगी ख़ुशी ख़ुशी बिताने लगे।

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