1- निकलेंगे आज कई रावण एक मॉम के पुतले को जलता देखने।
2- इतने ही राम भक्त हो तो रावण के पुतले को नहीं अपने अंदर के रावण को आज दहन कर देना।
3- वो रावण फिर भी सच्चा था जो कम से कम भेस नहीं बदलता था आज के रावण तो इंसान के भेस ओढ़े रहते है।
4- ना जाने कब इस देश में ये अपराध ख़त्म होगा, ना जाने कब ये रावणों की फ़ौज ख़त्म करने के लिए एक बार फिर राम का जन्म होगा।
5- आज फिर रावण दहन पर कई रावण निकलेंगे इंसान का चेहरा पहन कर।
6- श्री राम करे आपके जीवन में कोई गम ना आए, आपको और आपके पूरे परिवार को दशहरे की ढेरों शुभकामनाएं।
7- काल कोई भी हो हर काल की यही रीत होगी, हमेशा बुराई की अच्छाई पर जीत होगी।
8- जिस तरह श्री राम ने बुराई को आज के दिन ख़त्म कर दिया था ईश्वर करे इस विजय दशमी आपके जीवन में आने वाली हर बुराई ख़त्म हो जाए।
9- आप सभी को रामनवमी एवं दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं।
10- क्रोध पर दया क्षमा की विजय, अज्ञान पर ज्ञान की विजय, रावण पर श्रीराम की विजय, विजयदशमी है हर सच्चे इंसान की वजय।
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11- रावण आज के राक्षशों से तो बेहतर ही था कम से कम उसे स्त्री-सम्मान की मर्यादा का ज्ञान तो था।
12- यह विजयदशमी का पर्व हर्ष का है यह पर्व गर्व का है।
13- श्रीराम करे की आज के बाद आपके जीवन में दुःख का नाम ना आए, आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
14- दुःख के बादल दूर हो जाए और केवल खुशियों की धुप चमके आपके चेहरे पर, श्रीराम से यही कामना है मेरी इस दशहरे पर।
15- जब भी असत्य इस सृष्टि पर हावी होगा, श्रीराम का केवल एक वार ही असत्य के लिए काफी होगा।
16- बुराई का नाश हो, ये दशहरा हम सभी के जीवन के लिए ख़ास हो।
17- काश सभी के दिलों में बैठा इर्षा और बुराई के रावण का नाश हो जाए, इस विजयदशमी सभी के दिलों में श्रीराम का वास हो जाए।
18- दशहरा हर साल आता है पर ना जाने फिर भी कैसे इस समाज में राक्षशों की फ़ौज ज़िंदा रह जाती है।
19- हर दशहरा बस रावण का पुतला जलता है रावण सारे ज़िंदा रह जाते हैं।
20 – वाकिफ तो रावण भी था अपने अंजाम से, जिद तो अपने अंदाज़ से जीने की थी।
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21- कैसे कह दूँ रावण बुरा था जब मुझमे भी कुछ कम बुराई नहीं, जला देता मैं भी पुतला रावण का पर अफ़सोस मुझमे श्रीराम सी मर्यादा आई नहीं।
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22- अच्छाई के लिए लंका पर चढ़ाई करू तो करू कैसे, खुद रावण हूँ तो रावण से लड़ाई करू तो करू कैसे।।
23- रावण इंसानों में ही छिपा हुआ है और हम पुतलों को जला कर राख कर रहे हैं।
24- इस साल का दशहरा सफल बन जाए जो पुतला छोड़ सबके मन के भीतर बैठा रावण जल जाए।
25- दिन है ये उज्ज्ज्वल सोने का सुनहरा, सभी को मेरी तरफ से Happy Dusshehra
26- आज सभी जीवित रावण एक निर्जीव नकली पुतले को जलते देख जश्न मनाएंगे।
27- श्रीराम से प्रार्थना है की दशहरा के पावन अवसर पर आपके दुखों की लंका का दहन हो जाए।
28- इस विजयदशमी मेरा अन्तर्मन भी साफ़ हो जाए, काश मेरे मन में भी श्रीराम का वास हो जाए।
29- इस दशहरा मैं अपने सभी अवगुण त्याग दूंगा, पुतले को नहीं मैं अपने भीतर के रावण को आग दूंगा।
30- आपका हर सपना साकार हो, इस दशहरा आपके जीवन में खुशियां आपार हो।
31- देख लेगा जो हर इंसान खुद के भीतर झाँक कर, दावा है मेरा फिर ऊँगली ना उठा सकेगा रावण के किरदार पर।
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32- बाहर के रावण को जलाने से कुछ नही होगा, मन के अंदर बैठे रावण को जरूर जलाएँ. “दशहरा की हार्दिक शुभ कामना”
33- इस कलियुग में रावण नहीं रावणों की फ़ौज है, अब सरकार से उम्मीद नहीं मुझे तो श्रीराम की खोज है।
34- कितनी बार उस एक पुतले को जलाओगे एक बार खुद के भीतर झांकोगे तो ना जाने कितने रावण पाओगे।
35- सिर्फ दस चेहरे थे उस रावण के पास आज ना जाने कितने चहरे है रावण के पास।
36- मेरे समाज में अच्छे का कुछ ऐसा ढोंग रचाया जाता है, बलात्कारियों को रिहां कर हर साल रावण के पुतले को जलाया जाता है।
37-हम भी राम बनें और रखें मर्यादा और मान, सत्य और सत्कर्म से जीत ले सारा जहान।
38- अगर जलाने लगें समाज के रावणों को तो शायद मेरा भी दहन आज ही हो जाता।
39- रावण हर साल जलते हुए ये ज़रूर सोचता होगा मुझे जलता देख ये कलियुग के रावण इतनी ख़ुशी क्यों मना रहे हैं।
40- बस जला दो अपने भीतर की बुराई के दूसरे चहरे को और मनाओ सही मायने में दशहरे को।
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41- रावण जो आज ज़िंदा होता खुद से बड़े राक्षश देख समाज में वो भी बेचारा शर्मिंदा होता।
42- ये दशहरे का दिन ख़ास हो जाए जो सबके भीतर के रावण का विनाश हो जाए।
43- रावण बहुत है आज के समाज में राम का जन्म लेना अभी भी बाकी रह गया है।
44- हर साल बेचारे मरे हुए रावण को फिर से मारने से अच्छा हैं कि अपने अंदर पनप रहे जिंदा रावण को मार दिया जाएं, आप सभी को विजयादशमी के इस पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
45- मैं उस रावण के पुतले को जलता देख सेहन कर लेता अगर मैं भी अपने अंदर के रावण को दहन कर लेता।
46- रावण बढ़ते रहे हैं समाज में लगता है राम को फिर जन्म लेना होगा कलियुग के इस काले आज में।
47- अगर सब अपने अंदर की जलन को बहार निकाल देंगे तो ये रावण का पुतला क्या सारा समाज जल कर राख हो जाएगा।
48- जानता हूँ रावण बहुत गलत था पर कैसे जला दूँ उसे जब मैं भी बहुत सही नहीं हूँ।
49- हर साल आता है रावण श्रीराम की तलाश में पर हर साल कलियुग के राक्षशों के हाथों बेचारा मारा जाता है।
50- आज कल हर इंसान के इतने चहरे है की शायद रावण से भी बड़ा पुतला उसका बन जाएगा।

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