
चलो कोई निशाँ ढूँढ़ते हैं, दिल का बहता हुआ कारवाँ ढूँढ़ते हैं, मुद्दत हो गयी है मुस्कराये हुए, चलो खुशी का कोई जहां ढूँढ़ते हैं।

ख़ुशी मेरी तलाश में दिन-रात यूँ ही भटकती रही, कभी उसे मेरा घर ना मिला कभी उसे हम घर ना मिले।

ना जाने वक्त खफा है या खुदा नाराज है हमसे, दम तोड़ देती है हर खुशी मेरे घर तक आते-आते।

यह जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं, कभी सबा को कभी नामबर को देखते हैं, वो आये घर में हमारे खुदा की कुदरत है, कभी हम उनको कभी अपने घर को देखते हैं।

जब ख़ुशी मिली तो कई दर्द मुझसे रूठ गए, दुआ करो कि मैं फिर से उदास हो जाऊं।
जिंदगी उसी को आजमाती है, जो हर मोडपर चलना जानता है, कुछ पा कर तो हर कोई मुस्कुराता है, जिंदगी उसी की है …. जो सबकुछ खो कर भी मुस्कुराना जानता है।
ज़िन्दगी एक हसीन ख़्वाब है, जिसमें जीने की चाहत होनी चाहिये, ग़म खुद ही ख़ुशी में बदल जायेंगे, सिर्फ मुस्कुराने की आदत होनी चाहिये ।
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगर हमारी बेचैनियों की वजह बस तुम ही हो।
न पूछो दर्द मंदों से, हंसी कैसी, खुशी कैसी, मुसीबत सर पे रहती है, कभी कैसी – कभी कैसी।

रब से आपकी खुशी मांगते हैं, दुआओं में आपकी हंसी मांगते हैं, सोचते हैं आपसे क्या मांगें चलो, आपसे उम्र भर की मोहलत मांगते हैं।
शब्दों के इत्तेफाक़ में यूँ बदलाव करके देख, तू देख कर न मुस्कुरा बस मुस्कुरा के देख।
एक वो हैं कि जिन्हें अपनी खुशी ले डूबी, एक हम हैं कि जिन्हें गम ने उभरने न दिया।
दूर हूँ तुझसे तेरी ख़ुशी के लिए, ये मत समझना कि दिल दुखता नहीं मेर।
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है।

लबों पर यूँही सी हँसी भेज दे मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दे अँधेरा है कैसे तेरा ख़त पढ़ूँ लिफ़ाफ़े में कुछ रौशनी भेज दे।
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी।
ख़ुशी जीने की क्या मरने का ग़म क्या हमारी ज़िंदगी क्या और हम क्या।
दोस्ती अपनी जगह और दुश्मनी अपनी जगह फ़र्ज़ के अंजाम देने की ख़ुशी अपनी जगह।
तमाम उम्र ख़ुशी की तलाश में गुज़री तमाम उम्र तरसते रहे ख़ुशी के लिए।
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खुला ये राज़ कि ये ज़िंदगी भी होती है बिछड़ के तुझ से हमें अब ख़ुशी भी होती है।
उस से मिलने की ख़ुशी बाद में दुख देती है जश्न के बाद का सन्नाटा बहुत खलता है।
जीने की उसने हमे नई अदा दी है, खुश रहने की उसने दुआ दी है, ऐ खुदा उसको खुशियाँ तमाम देना, जिसने अपने दिल मे हमें जगह दी है।
आपकी पसंद हमरी चाहत बन जाये, आपकी मुस्कान दिल की राहत बन जाये, खुदा खुशियों से इतना खुश कर दे आपको, कि आपको खुश देखना हमारी आदत बन जाए।
जब भी उनकी गली से गुजरते हैं, मेरी आँखें एक दस्तक दे देती हैं, दुःख ये नहीं वो दरवाजा बंद कर लेते हैं, खुशी ये है वो मुझे पहचान लेते हैं।
उसके हाथों का खिलौना ही सही खुश हूँ मैं, कुछ देर के लिए ही सही मुझे चाहता तो है।
दिल में खुशी हो तो छलक जाती है, मुस्कुराहटें बजह की मोहताज नहीं होती।
इन्हीं ग़म की घटाओं से खुशी का चाँद निकलेगा, अँधेरी रात के पर्दों में दिन कि रौशनी भी है।
मैं बद-नसीब हूँ मुझ को न दे ख़ुशी इतनी कि मैं ख़ुशी को भी ले कर ख़राब कर दूँगा।
जरुरी नहीं की हर रिश्तें का अंत लड़ाई ही हो, कुछ रिश्ते किसी की ख़ुशी के लिए भी छोड़ने पड़ते है।
कोई काश उनसे पूछे जो ग़मों से भागते हैं वो कहाँ पनाह लेंगे जो ख़ुशी न रास आई।

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