international men’s day shayari

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1- जैसी दिखती है बहार से दुनिया अंदर से वही नहीं होती, हर लड़का गलत नहीं होता जनाब हर लड़की सही नहीं होती।

2- उसकी आँखें सुखी रहे चाहे पर दिल उसका भी रोता है, वो पत्थर का नहीं होता उसके पास भी दिल होता है।

3- लड़का होना भी आसान कहाँ साहब खुद के ही ख़्वाबों को मारना पड़ता है ज़िम्मेदारियों के नीचे लाकर।

4- वो भी इंसान है वो भी नाकाम हो सकता है, उसके पास भी दिल है वो भी रो सकता है।

5- चाहकर भी अपनी ख्वाहिशों की और मूड नहीं पाता, ज़िम्मेदारियों का बोझ आदमी के कन्धों पर इतना होता है की पर होते हुए भी वो उड़ नहीं पाता।

6- सीख लेना चाहिए सभी को ज़िन्दगी में ये सबक है, किसी की ज़िन्दगी आसान नहीं है लड़कों की मुसीबत अलग और लड़कियों की अलग है।

7- हर मर्द नहीं जी रहा यहाँ अपनी माशूका की आज़माइशों के लिए, कुछ जी रहे है अपनी माँ की ख्वाहिशों के लिए।

8- तकलीफ उसे भी होती है बस बताता नहीं है वो, मोहोब्बत वो भी करता है बस जताता नहीं वो।

9- टूटने पर अक्सर रास नहीं आता, ये आइना भी कहीं मर्द तो नहीं।

10- जो उनकी नज़रों क़ाबिल नहीं वो मर्द नहीं, ये समाज की बातें मुझे समझ नहीं आती।

11- मर्द वही जो चढ़े कामियाबी के पहाड़, ये समाज की बातें मेरी समझ के बहार।

12- वो बस बनता है सख्त पर वो पत्थर नहीं है, वो इंसान है जानवर से बत्तर नहीं है।

13- जो छेड़ते है लड़कियों को वो हैवान है साहब, बाकी मर्द जो हैं वो भी इंसान ही है साहब।

14- सभी पर एक सा शरीर एक सी ज़ुबान है, हम औरत या मर्द बाद में हैं पहले इंसान है।

15- मोहोब्बत की जाए तो इंसान को चाहा जाए, लड़के और लड़की के चेहरे को नहीं उसकी इंसानियत को सराहा जाए।

16- मर्दानगी का मतलब ख्यालों को दबाना नहीं है, किसी से कितना प्यार करते हो ये छुपाना नहीं है।

17- खूबसूरती पर सभी का ध्यान है, आँखों से पट्टी हटा कर तो देखो जनाब सब इंसान है।

18- आदमी घर में रहे तो उसे कहते है नाकारा, बाहर ज्यादा घूमे तो कहते है उसे आवारा, आदमी जिम्मेदारियों के बोझ में ऐसे दबा है कि वह खुद की नजरों में है बहुत ही बेसहारा।

19- लड़की शादी के बाद विदाई के समय रोती है, जबकि पुरूष पूरा जीवन ही रोता रहता है।

20- मर्द हर दर्द सहकर भी अपना धैर्य खोता नही है, मुसीबत कितनी बड़ी हो पर वो बात-बात पर रोता नही है।

21- वही पुरूष अपने जीवन में खुश होता है, जिसके पास साहस और पौरूष होता है।

22- गम में आँखें नम नही, तो मेरी क्या खता है, मैं मर्द हूँ मेरे आँखों के आसुओं को पता है।

23- तराश के जिंदगी को खुदा ने ये तस्वीर बनाई है हर दुख बच्चों का खुद पे वो सह लेतें है उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते है

24- गुल ने गुलशन से गुलफाम भेजा है सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है मुबारक हो आपको “मेन्स डे” हमने आपको यह पैगाम भेजा है। – विश यू हैप्पी इंटरनेशनल मेन्स डे

25- हर दर्द को सहकर आगे बढ़ना पड़ता हैं, घर की जिम्मेदारियों के चलते हमें ही अपने सपनो को कुचलना पड़ता है।

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