अच्छा लगता है ना तब जब कुछ ऐसी बातें पढ़ लो जो दिल को छू जाती है? कुछ गहरी बातें जो मन को शांत भी कर देती हैं और साथ-साथ सोचने का नजरिया भी बदल देती हैं। बस ऐसी ही बातों का मेला हमने इन Heart Touching Quotes in Hindi में सजा रखा है।
आइए और बस पढ़ते ही चले जाइए। मुझे आशा नहीं यक़ीन हैं की ये Heart Touching quotes in Hindi आपको पसंद आएँगे तो बस अब रुकना कैसा ? चलिए शुरू करते है।
1- रुकना नहीं है मुसीबतों को देखकर, नदियाँ कभी चट्टानों को देख कर रास्ता बदला नहीं करती।
2- मत मांग किसी से सहारे की भीख तेरी मुसीबतों का सहारा तू खुद है।
3- अब दो ही चीज़े मेरे सबसे क़रीब है एक मेरा परिवार और दूसरे मेरे दोस्त, अगर यह दोनों ही नहीं ना हो तो मेरी जिंदगी सबसे बदक़िस्मत होगी।
4- माँ मेरी वाकई बहुत अनपढ़ है, मैं मांग बस एक रोटी की करता हूँ वह मुझे हमेशा ही दो रोटी परोस देती है।
5- दोस्ती प्यार और दान कभी धर्म देख कर नहीं किया जाता।
6- अक्सर जुबां पर हलकी-सी हसी लेकर घूमने वालो का दिल बहुत भारी होता है।
7- इश्क़ दिल से किया जाता है साहब जिस्म से तो बस मतलब पूरे होते हैं।
8- माँ बाप के त्यागों को कभी फ़र्ज़ मत समझ लेना वरना ज़िन्दगी में बहुत पछताओगे।
9- नहीं खोल रहा है भगवान् इस बार भी कामयाबी के दरवाज़े मेरे लिए, शायद और बड़ा दरवाजा ढूंढा है उस ने मेरे लिए।
10- नसीहत देते लोग साथ नहीं देता कोई. वादा करके तो ऐसे तोड़ देते है जैसे नेता हों।
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11- ज़माना भी सिर्फ़ उसे याद रखता है जो कामयाबी की बुनियाद रखता है।
12- दौलत और शौहरत से नहीं खुशियाँ अपनों से मिलती है।
13- दुनिया के सारे शौर शराबों से दूर जब अकेला बैठा तब खुद से मिलने का कहीं मौका मिला।
14- कभी-कभी क्षमताओं का पता जीतने के बाद पता लगता है।
15- माना की पैसा बोलता है पर मैं बहरा हूँ।
16- कुछ अजीब-सा हादसा हुआ है मेरे साथ जिन-जिन को मैंने अच्छे समय से मिलाया था आज उनके पास ही वक़्त नहीं मेरे लिए।
17- मामूली हूँ मैं पर हर कोई मेरे लिए ख़ास है, धोखे खाये काफी पर आज भी मुझे विशवास पर विशवास है।
18- कुछ से माफ़ी मांग लेना और कुछ को माफ़ कर देना यही बड़े दिल की निशानी होती है।
19- धरम को अलग रख दे सभी एक हैं और लालच हटा दोगे तो बन्दे सारे नेक हैं।
20- अत्यधिक गुरूर आ जाये तो याद रखना इंसान और अखबार पुराने हो ही जाते हैं, पर अच्छी खबरे और मीठे बोल बस याद रह जाते हैं।
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21- तलाश कर रहे हो प्यार की एक बार माँ के पास बैठो तो सही तलाश ख़त्म न हो जाये तो कहना।
22- जब दर्द हमदर्द से मिलने लगे तो ज़िन्दगी झरनुम-सी लगने लगती है।
23- मोहोब्बत उसकी जगह अगर खुद से की होती तो अकेला पन ज़रूर होता पर ये दर्द नहीं।
24- कुछ बात लफ्ज़ो से बेहतर खामोशियाँ बयाँ कर दिया करती है।
25- कौन कहता है वक़्त किसी का नहीं होता, मैने मेरे ही वक़्त को मुझे बर्बाद करते देखा है।
26- भीख के शहरी किले मुझे नहीं भा,ते मैं तो जीता हूँ अपने गांव की कुटिया में नवाबों की तरह।
27- अभी ज़रा वक़्त है उसे मुझे आज़माने दो वह रो-रो के पुकारेगी बस मेरा वक़्त तो आने दो।
28- मौसम भी मेरी ज़िन्दगी का अजीब बदला, सब बदल गए पर ना जाने क्यों मैं ना बदला।
28- बैठा हूँ आज कुछ रिश्तों का हिसाब करने, गर वफाओं में तुझे रख दिया तो बाकी रिश्ते नाराज़ हो जेएंगे।
29- सोचता हूँ अगर कुछ ख्वाहिशे अधूरी न होती तो, जीने में मज़ा क्या आता।
30- जब पैसा पास था सारे सांप रेंग कर मेरे तलवे चाटा करते थे, अब पैसा जाते ही मानो मेरे हाथ में लाठी आ गई है।
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31- जुबां आईने-सी साफ़ रखने वाले अक्सर लोगो की आँखों में कांच से चुभा करते हैं।
32- कुछ करना चाहते हो तो खुद करना होगा और सारी दुनिया से लड़ने से पहले खुद ही से युद्ध लड़ना होगा।
33- क्यों न नाज़ हो मुझे अपनी मोहोब्बत पर वो अपनी माँ की मोहब्बत की लाज रख कर, मेरी मोहब्बत को भुला रहा है।
34- गर्म कपड़ों के सारे बैग खुल गए प्यार से बुना कोई स्वेटर नहीं निकला।
35- अगर जिस्म से लिपटना ही मोहब्बत है तो अज़गर से बड़ा कोई महबूब नहीं।
36- गरीब अक्सर तबयत का बहाना बनाकर मजबूरियाँ छुपा जाते हैं।
37- थक कर बैठना मंज़ूर है मुझे, राहो में पर गिरकर हार जाना यह मंज़ूर नहीं।
38-हवा के रुख बदलने से कैसा खौफ, मैने तो अपनों को भी वक़्त पर बदलते हुए देखा है।
39- मेरी क़ाबिलियत का अंदाजा इसी बात से लगा लो की लोग मुझे गिराने की कोशिश नहीं साजिश किया करते हैं।
40- फरेब की आशिकी का ज़माना है अब कपड़े उतरा करते है जिस्म से इश्क़ के नाम पर।

41- लड़को की ज़िन्दगी आसान कहाँ साहब खुअहिशे मर जाती है उनकी ज़िम्मेदारियों के नीचे आ कर।
42- सीख जाते अगर मीठे झूठ बोल पाने का हुनर, तो ना जाने कितने रिश्ते बच जाते टूटने से।
43- ज़िम्मेदारियों के बाज़ार में फ़ुरसतें न जाने कहा खो कर रह गई मेरी।
44- डूब रहा था जब तो समंदर को भी हैरानी हुई सोचने लगा कैसा शक्श है किसी को पुकारता ही नहीं।
45- वक़्त के दलदल में ज़िन्दगी कब सिमट जाती है खबर ही नहीं मिलती।
46- हर दलदल से बहार निकल आता हूँ शायद मेरी माँ मेरे लिए दुआओं में याद कर रही है।
47- समझ गया कलियुग चल रहा है, जब दोस्त और मौसम दोनों बेमौसम बदलने लगे।
48- सिर्फ़ तेरा होकर रह नहीं सकता मैं मुझे तो सारे ज़माने को अपना दीवाना बनाना है।
49- क़त्ल के लिए खंजर की क्या ज़रूरत मेरे लफ्ज़ ही काफी हैं तुम्हारे लिए।
50- ज़िन्दगी सोचकर गुज़ारने वालो कभी इसे जीकर देखो मजा न आ जाये तो कहना।

51-रास्ता क्या तुमने बदला मेरी तो मंज़िल ही बदल गई।
52- उंचाईओं पर पहुंच कर घमंड मत करना दोस्त याद रखना तुमसे ऊपर भी एक मालिक है।
53- पैर ज़मीन पर है मेरे पर नज़रे और हौसले आसमान छू रहे है।
54- कर लूँगा मैं इतना काबिल खुद को की खुदा ज़मीन पर आकर आशीर्वाद भी देगा और शाबाशी भी।
55- अजीब-सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम और झांकते ज़्यादा है।
56- वफ़ा की तलाश में निकले थे घर से वफ़ा तो मिली नहीं अब घर भी कहीं खो कर रह गया।
57- हम चाहे लाख बुरे पर नफरत करने वालों तुम भी तो अच्छे कहाँ हो।
58- सलाहकार तो सभी बने हुए हैं ज़माने में, मेरा मक़सद तो कलाकार बनने का है।
59- कुछ दोस्त क्या ज़हरीले निकले, लोगो दोस्तों की तुलना साँपों से करने लगे।
60- समझ नहीं आया उनके लफ्ज़ थे या तीर सीधा सीने पर आ कर चुभ गए।

61- बस कुछ लिहाज़ अपने माँ बाप की परवरिश का है मुझे वरना कड़वे शब्दों का पिटारा तो मेरे पास भी है।
62- हाथो की लकीरों पर इतना विश्वास मत कर बन्दे तक़दीर तो उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।
63- जिस दिन दिया धोखा मुझे मेरी वफ़ा ने, उस दिन मेरे अंदर की अच्छाई का कत्ले आम हो गया।
64- दम घुट गया मेरे अरमानों का, जब माँ ने कहा पूरी घर की ज़िम्मेदारियाँ अब तेरे कन्धों पर है।
65- जब ज़िन्दगी की अदालत में मुक़दमा एक दूसरे का साथ देने का था, तभी मेरे अपनों ने ही दी मेरे खिलाफ गवाही।
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66- ज़माना पीठ पीछे बुराई ही करता रह गया, और हम आगे निकल गए।
67- साजिश की ज़माने ने गिराने की बहुत शायद तभी मेरे सर उठा के चलने पर उन्हें ताज़्ज़ुब होता है।
68- होने वाली है लम्बी ये रात क्योंकि सपनो में मिलने को मुझसे मेरी मेहबूब आने वाली है।
69- तेरे जाने के बाद काली रातों से वफ़ा हो गई मुझे।
70- परिवार को देख कर बस चुप हो जाता हूँ, वरना एक भगत सिंह तो मेरे अंदर भी है।

71-यूँ तो मुझे गिले बहुत मिले है, पर मुझे कोई गिला नहीं।
72- रुक मत बन्दे मुश्किल रास्ते हसीन मंज़िल तक ले ही जाएंगे।
73- क्यों करूँ मैं फ़िक्र मेरे लिए, उड़ती अफवाहों और खोखले बर्तनों का तो काम ही है शोर करना होता है।
74- पीठ पीछे वार होते हैं जलन के हथियार से सगे होते देखे हैं दुश्मन मैने अक्सर व्यापार में।
75- दोस्त तो कई दिखते है अब भी रास्तों में पहले की ही तरह, बस अब वह दोस्ती नहीं दिखा करती आँखों में उनकी।
76- हर दिन नहीं रोता था सिरहाने से चिपक कर, पर तेरी जुदाई ने मुझे ये हुनर भी सीखा दिया।
77- उचाईयों पर बैठा हुआ हूँ मैं, पर तुम्हरी गालियों की आवाज़ मुझे सुनाई नहीं दे रही।
78- माना की हवाओं में ज़हर है, पर सांस लिए बिना रह भी तो नहीं सकते।
79- उसके लफ्ज़ थे या चाक़ू जख्म भर ही नहीं रहे है।
80- वह मेरा खेल ख़त्म करने की बात करते हैं मेरी पारी तो बस अभी शुरू ही हुई है।

81- ना भरी महफिलों में बुलाया करो तालियाँ रूठ जाती है हमारे आने से।
82- सब कुछ लगा दिया था मैने मेरा दाव, पर शायद तभी आज बाज़ी मेरी है।
83- एक दफा मैं कुछ ऐसा लिख गया की ऊपर वाले को भी उसकी लिखी क़िस्मत पर शक हो गया।
84- जुबां खोलते हो धुआँ निकल रहा है, अब कुछ बोलूंगा तो आग लगनी तय है।
85- दुनिया वाले खुद से ऊपर किसी को मानते नहीं है, और फिर लोग कहतें हैं ऊपर वाले पर भरोसा रखो।
86- मैने अपनी सोच को इतना ऊपर कर लिया है कि खुदा भी अब मेरी खुअहिशों को मंज़ूर करने लगा है।
87- कामयाब होना है तो जुबां बंद और कान दोनों खुले रखने होंगे।
88- थक जाओ जो नफरत करते-करते हमे, कभी बैठना हमारे पास प्यार से आके।
89- ज्ञान तो दुनिआ में हर जगह बह रहा है, अब ये हमारे ऊपर है कि हम हर राह पर हाथ धोते चल रहे हैं या नहीं।
90- माना जुबां थोड़ी गन्दी है मेरी पर किरदार और कपड़े हमेशा साफ़ रखता हूँ।
91- माँगा तो मैंने भी चाहतों को ही था खुदा से, नजाने झोली में ये नफ़रतें ही क्यों दिखाई दे रही है।
92- खुद को बदलते देखा है मैने, वक़्त से तेज़ और ज़माने से आगे।
93- अकेले जीना सीख लो दोस्त हर classroom चार दीवारों से घिरा और दोस्तों से भरा नहीं होगा।
94- पास तो सभी के पास होता है प्यार, बस कुछ छुपाने म विश्वास रखतें है तो कुछ बांटने में।
95- आग तो भरी पड़ी है सच्चाई की मेरे अंदर भी, पर फिलहाल शोले उगल कर ही काम चला रहा हूँ।
96- बस अपनी और अपनों की ज़िंदगियाँ बदल दूँ इसी ख्याहिश में जी रहा हूँ।
97-ज़िन्दगी का हिस्सा नहीं अब तू ज़िन्दगी बन चुकी है।
98- विरासत में शान मिली है मेरे माँ बाप की बदौलत ही जान मिली है।
99- सही उम्र में ही सही ग़लत में फ़र्क़ कर लेना ही परिपक़्वता कहलाती है।
100- भर दो कितनी भी मिटटी नहीं दफना पाओगे मेरे गहरे विचारो को।

101-जब बह गया खून का कतरा-कतरा ज़ख्मो से मेरे तब दिखावे के दोस्तों ने आकर मुझेस मेरा हाल पूछा।
102-क्यों करू भरोसा मैं इन हाथो की लकीरों पर मैं अपनी तक़दीर खुद लिखूंगा।
103-बेअसर-सी हो गयी सभी दवाएँ जब रोग मुझे तेरा लग गया।
104-नीम का पेड़ तो यूँ ही बदनाम है असली कड़वाहट तो लोगों के स्वभाव में आ गयी है।
105-तोड़ दी हमने बेबुनियादी रिश्तों की कच्ची रस्सियाँ अब कटपुतली बन कर और नहीं जी पाएंगे हम।
106-खामोश रातों में अश्क़ आँखों के नाजाने क्यों चीखने लगे।
107-ना जाने क्यों मिलने भी नहीं आते अब वह दोस्त जो कहते थे अब तो दुनिया भी तो साथ ही छोड़ेंगे।
108-ये जो तुम इतनी खामोश हो रखे हो डरता हूँ की कहीं इन खामोशियों की चीख से मैं बहरा न हो जाऊँ।
109-जूते ज़्यादा कीमती हो गए हैं आज कल जान से ज़्यादा।
110-मैंने मदद की मांग की-की थी और वह सलाह देकर चले गए।
111-दफना दो मुझे ज़मीन के कितने भी नीचे मैं बीज हूँ पेड़ बन ही जाऊंगा।
112-नहीं जितने मुझे किले नहीं करना मुझे दुनिया पर राज़ मैं तो बास मेरी माँ के होठों पर मुस्कराहट चाहता हूँ।
113-जंकिरदार ग के मैदान में हाथ पैर मेरे बाँध दो मैं वह मैं अपने दिमाग की धार से तुम्हारे गले काट कर दिखाऊंगा।
114-दुआ दिल से दी थी पर बदले में गाली मिली मुझे तब से मैं भी यही कहता फिरता हूँ भलाई का अब ज़माना नहीं मेहनत।
115-मेहनत और असफलता मिलकर कामयाबी को जन्म देते हैं।
116-किरदार पर ऊँगली भी वह उठाते है जो खुद पेशे से कातिल है।
117-तू बास मेहनत करता जा आज नहीं तो कल जीत निष्चित है।
118-अगर भगवन कोई है तो वह है जन्म देती कोख।
119-असम्भव में संभव पहले से ही मौजूद होता है बस देखने की देरी होती है।
120-मृत्यु ही मोक्ष है जीवन तो एक भ्रम से बढ़कर और कुछ नहीं।
121-तुम चीखते रहो मेरे बारे में तुहारा गला बैठ जाएगा मेरा होंसला नहीं।
122-कामयाबी की फसल मेहनत से उगती है किसी की रहमत से नहीं।
123-मौत भी दूर चली गयी जब माँ ने मेरी आशीर्वाद के लिए हाथ सर पर रख दिया।
124-लगा दो खरोचें जितनी मर्ज़ी मेरे किरदार पर मेरा रब मुझ पर आंच भी नहीं आने देगा।
125-दोस्ती दफ़न हो गयी कफ़न में जब दो दोस्त खुद को बड़ा साबित करने में लग गए।
126-हमने प्यार में जो जान देने की बात कही वह हमसे मतलब निकलने लगे।
127-जल्दी बड़ा होने की दुआ करी थी भगवान् से अब कोस रहा हु क्यों करी थी।
128-फुर्सतों का पता जब ढूंढ़ने की कोशिश की तो पता लगा वह तो सिर्फ़ मौत में है।
129-कामयाबी और जलन एक ही रास्ते के दो राही हैं।
130-अब मिलते नहीं दो दोस्त आपस में ये गलती वक़्त की है या हालात की समझ नहीं आ सका।
131-बेवजह नहीं बदलता कोई करवटे ज़रूर कुछ बेचैनी खाये जा रही है।
132-दर्द में भी सुख है अगर वह तुम से मिला है तो।
133-मालिक तो बस एक है ऊपर वाला बाकी तो बस कुछ दिन के कर्मचारी मात्र हैं।
134-वादा करा तो दोनों ने था न बिछड़ने का पर मैं निभा अकेला ही रहा हूँ।
135-तेरे साथ वह बीता कल मुझे कल भाई याद था और कल भी रहेगा।
136-फ़र्क़ सिर्फ़ तालीम का ही तो है वरना जुबां तो मैं भी गन्दी कर सकता हूँ।
137-शिखर मैं चढ़ता ही चला जाऊंगा तुम बस मेरे गिरने का इंतज़ार ही करते रहो।
138-सवार मैं बादलों पर हूँ अब मुझे तुम्हारी खबर कहाँ।
139-माना हर जगह कीचड़ है पर मैं भी तो कमल हूँ खिल के ही रहूंगा।
140-सवाल उठे मेरी सादगी पर, पर मैं नहीं बदला।
141-हमसे लोगों को यही परेशानी है कि हमे लोगों से कोई परेशानी ही नहीं है।
142-जिसने भी अनदेखा करा है मुझे अंधे-सा, दिखा दूंगा मैं जोर तुम्हे मेरे कंधे का।
143-सर्दी की धुप गर्मी की छाव है वह बड़े समंदर में मेरी छोटी-सी नाव है वह वो मेरी माशूका नहीं है मेरी माँ है।
144-बंद है दिल में राज़ काफी जिस दिन खुल गए सेहलाब आ जाएगा।
145-जीत जाऊंगा उस दिन जिस दिन जानेंगे लोग बाप को मेरी वजह से।
146-शिखवे और शिकायते कायर करते हैं समझदार और सहनशील लोग कोशिश करते हैं।
147-अच्छाई बांटने निकला था रास्ते में नफरत पसंद आ गई।
148-मुझे नहीं आती पतंग-सी चालाकियाँ गले मिलकर गला काट दूँ वह मांझा हूँ मैं।
149-चाहते थे मिटाना उसे अपने दिलो-दिमाग से पर दुआओं में वापस उसी को मांग बैठे।
150-एक दिन भी निभा नहीं पाएंगे मेरा किरदार जो लोग मुझे मशवरे देते हैं हज़ार।
151- घड़ियाँ तोहफे में काफी आयी जन्मदिन पर मेरे अपने मेरे लिए वक़्त न निकल पाए।
152- जहाँ सफाई देनी पड़े हर बार इतने गंदे रिश्ते तोड़ देना ही बेहतर है।
153- रिश्ते निभाने का हुनर तो दुश्मनो से सीखा दोस्तों ने तो दग़ाबाज़ी का ही पाठ पढ़ा था।
154- लोगों के राग मुझे समझ नहीं आते मैं तो अपनी धुन में चलना पसंद करता हूँ।
155- आँखे भी खोलनी पड़ती है उजाले के लिए केवल सूरज निकलने से कोई उजाला नहीं होता।
156- इंसान सीखना चाहे तो भूल से भी सीख लेता है वार्ना हज़ारों शिक्षक भी काम पद जाते हैं सीखने को।
157- मेरी शायरी पर तू यूँ इलज़ाम ना लगा मैं दर्द लिखता ज़रूर हूँ पर देता नहीं।
158- बचपन से जवानी कब आई ये तो याद नहीं बस इतना याद है की मोहब्बत मेरी आखिरी शरारत थी।
159- किसी ने पुछा मुझसे की गरीबों में इतनी समझ क्यों होती है, मैंने हंस कर कहा वो बादाम नहीं धोके खाया करते हैं।
160- नसीब वो है जो खुद चल कर आएगा पर क़िस्मत से ज्यादा वही पाएगा जो बैठेगा नहीं भले मंज़िल तक चल कर जाएगा।
161- उसकी वफ़ा में उसका वफादार था मैं उसने मुझे गली का कुत्ता समझ लिया।
162- बस बुराई कर लो मेरी यही ठीक है क्यूंकि मेरी बाबरी करना तुम्हारे बस में नहीं है।
163- उस दिन से मैंने सलाह देना बंद कर दिया जब से वो मेरे तजुर्बे को मेरी अकड़ समझने लगे।
164- मैं नहीं रुकने वाला मुझे शौक रखने का शौक़ नहीं पूरे करने का शौंक है।
165- किसी की मदद करने से पहले मुझसे धर्म नहीं देखा जाता मैं आदमी नहीं इंसान हूँ।
166- मेरे हालातों की वजह से मैं गरीब लगता हूँ पर होंसले तो आज भी अमीरों से अमीर है मेरे।
167- अपने ज़मीर का ज़मींदार शुरुवात में हर कोई होता है बस कुछ लोग उसे किसी और को बेचकर खुद उनके किराएदार हो जाते हैं।
168- हम हारेंगे या जीतेंगे अब बाद में देखेंगे, अब चलने निकले हैं तो चलते रहेंगे तुकेंगे कहाँ ये बाद में देखेंगे।
169- कश्तियाँ हज़ारों की तादाद में किनारे पर ही खड़ी थी हमने एक टक न देखा उनकी तरफ क्यूंकि हमे तो दरिया तैर कर पार करने की पड़ी थी।
170- मैं अभी मौन हूँ इसीलिए तुम जानते नहीं अभी मुझे मैं कौन हूँ।
171- अगर तुम मुझे सिर्फ अपनी ज़रुरत के वक़्त याद करो और मैं तुम्हारे काम न आ सकूं तो मैं सही हूँ खुदगर्ज़ नहीं।
172- जो कह कर गए हैं फिर मिलेंगे वो अब फिर मिलेंगे जब उन्हें कोई काम होगा।
173- जो निभाया न जा सका मेरी वफ़ा से वो वादा हूँ मैं।
174- ज़िन्दगी बीत गई जब इज़्ज़त कमाने में तब पता चला इज़्ज़त पैसों की है इंसान की नहीं।
175- ठोकर खाकर सीधे चलना सीखा हूँ मैं और लोगों को आज भी लगता है की आज जो कुछ भी मेरे पास है सब क़िस्मत का है।
176- अपनी काली कमाई को भी खून पसीने की कमाई वो बताते है वो गलत नहीं बताते बस खून पसीना किसी और का होता है।
177- अहमियत हैसियत को मिलती है और एक हम्म है जो जज़्बात लिए फिरते हैं।
178- मिलना है तो कदर करने वालों से मिलो इस्तेमाल करने वाले तो तुम्हे ढून्ढ ही लेंगे।
179- गुरुर किस बात का करूं मेरे मरने की बाद मेरे अपने ही मुझे छूने के बाद हाथ धोएंगे।
180- लिबाज़ छोटे हो गए तो कुछ ने नज़रें खराब कर ली गलती सोच की थी और दोष लड़की पर डाल दिया।
181- कभी-कभी जो कुछ भी नहीं किया करते वह विजेता बन जाते है। मेहनत करने वाले सरकारी नौकर बनते हैं और बैठ कर खाने वाले नेता बन जाते हैं।
182- जो मेरे फाटे जूतों के संग चलने का जो मज़ाक बनाते हैं अगर वो जूते उन्हें पहनने पड़ जाए तो एक क़दम भी नहीं चल सकेंगे।
183- बदला क्यों लूँ बदलने वालों से अगर वो न बदलते तो मेरी ज़िन्दगी न बदलती।
184- सही को सही बोल देना चाहिए नहीं तो सही खुद को गलत समझ कर सही करना छोड़ देगा।
185- बैठे बैठे कुछ नहीं मिलता, सबर कर के सफर कर के ही संवारती है ज़िन्दगी।
186- लिहाज़ लिबाज़ का नहीं इंसान का कीजिए।
187- कुछ लोग तो इतने भी खुद्दार नहीं होते की उनका होंसला भी किसी से माँगा हुआ होता है।
188- जो बहुत हलके में लेते हैं ज़िन्दगी को उनसे ज़िन्दगी बहुत भारी रकम वसूल करती है।
189- शख्स की शख्सियत का अंदाजा कर्मों से होता है उसके शब्दों से नहीं।
190- झुक जाता हूँ सबके सामने प्यार से लेकिन अपने बाप का सर किले सा ऊँचा करना मेरी ख्वाहिश है।
191- हर गज का हिसाब रखता हूँ किसी का उधार अपने सर पर नहीं लेके जाऊंगा वादा करता हूँ।
192- कश्ती जिस दिन किनारे से मिलेगी मेरी उस किनारे पर मीनारें मिलेंगी।
193- मिटटी का बना इंसान एक दिन मिटटी में मिल जाएगा, सोना कितना भी कमा ले आखिरी नींद में कुछ भी साथ नहीं जाता।
194- हम चलते चले गए और जलने वाले हमे देख कर जलते चले गए।
195- अपना ऐसा नाम बना दूंगा मैं आसमान को खींच कर ज़मीन बना दूंगा।
196- गरीब को क़रीब से देखा तो समझ सका की पैसा सब कुछ खरीद सकता है पर खुशियां नहीं।
197- सीख रहा हूँ अपनी ख्वाहिशों पर बंदिशें लगाना मैंने अपनी ही रूह को किसी और के लिए तड़पते देखा है।
198- सीखा दिया लोगों ने भी मुझे अपने से मतलब रखना यकीन मानो मैं पहले ऐसा नहीं था।
199- कब्र की मिटटी हाथ में लिए सोच रहा हूँ जब लोग मर जाते हैं तो गुरूर कहाँ पड़ा रह जाता है।
200- यक़ीन मानो बुराई का कोई रिश्ता नहीं है मज़हब से, दिलदार इंसान दिल से बात करता है और मतलबी इंसान मतलब से।
201- जो तेरी बातों को अनसुना कर दे उनकी बातों को तू ज़रा कम सुना कर।
202- इस ज़िन्दगी के कठघरे में वक़्त ही वकील है और वक़्त ही अदालत है।
203- ना जाने आशिकी में बादल और ज़मीन की कभी कभी क्या दूरियां आ जाती है की बादल बारिश का फरिश्ता भेजता ही नहीं ज़मीन पर।
204- मैं वो पुराना नहीं रहा बदल गया हूँ ठोकर खा कर संभल गया हूँ।
205- पहले दोस्ती इतनी गहरी थी की हर ख़याल मिलता था अब ख़याल कहाँ मिलेंगे जब दोस्त ही नहीं मिलते।
206- बीत गई मेरी रात बैठे-बैठे ये इस सोच में की ना जाने कितना समय हो गया सुकुन से नहीं बैठे।
207- बैठा हूँ आज कुछ रिश्तों का हिसाब करने, गैर वफाओं में तुझे रख दिया तो बाकी रिश्ते नाराज़ हो जेएंगे।
208- ख्यालों में खोना कोई हमसे सीखे असल ज़िन्दगी में वो मुझे मिले न मिले ख्यालों में मैं उस से रोज़ मिलता हूँ।
209-पलट दूंगा हर उस पन्ने को मैं जिस पन्ने पर निशानी है तेरी।
210- जब बात जज़्बात की आए तो ज़रूरी नहीं की उसके बहाव में तुम हर बार बह ही जाओ।
211- भूल भी आज कल जानबूझ कर ही की जाती है इसीलिए बेहतर है भूल को भूल कर गलतियां ही कर ले।
212- दोनों से ही आखिर में रहा ना गया हम से रिश्ता तोड़ा न गया उन से निभाया ना गया।
213- कमी नहीं मेरे पास किसी चीज़ की फ़र्क़ बस इतना है तुम्हारे पास दौलत बहुत है मेरे पास तजुर्बा बहुत है।
214- खुद्दारी बहुत होती है उन घमंडी दौलत वालों में पैसा छोडो वो तो किसी से माफ़ी तक नहीं मांगते।
215- बड़े चैन से बैठा था वो गरीब पेड़ के नीचे अमीर के पास दौलत बहुत थी पर बैठने का वक़्त नहीं था।
216- जरा सा शोर की करदो आ कर मेरी गलियों में अब यारों की यारियां इन रातों में सन्नाटे में कहीं सो गई है।
217- ज़रिए ज़रा कम हैं गरीबों के पास शौक़ पूरे करने के लिए पर हंसी उनके पास थोड़ी ज्यादा है अमीरो से।
218- माफ़ करना मैं ज़रा ज़्यादा कह गया तुम ज़िन्दगी हो मेरी ये सच नहीं था।
219- मरहम की मजाल नहीं हुई दर्द कम करने की जख्म इतने गहरे थे की करम न उठा सका मरहम उन्हें भरने की।
220- हाँ माना ज़िद्द ज़रूरी है पर वजह का सही होना भी बहुत ज़रूरी है।
221- बातों केह दी थी उन्हें अपनी आँखों के सहारे से तभी अगल-बगल खबर तक लगी किसी को हमारे हवाले से।
222- उनके कहने पर हमने उनके चार बातें क्या माना उन्होंने हर जगह बात फैला दी की हम उनके कहे पर चलते हैं।
223- ज़िन्दगी तब बदल जाती है जब बदला लेने की आदत बन्दे की बदल जाती है।
224- हमने उनके कुछ राज़ पर्दा करने थे उन चुगलियों की महफ़िल में वो इतने तेज़ निकले की उन्होंने मुद्दा ही बदल दिया।
225- हाँ नहीं है मेरे पास लाखों चाहे वालों की फ़ौज पर ये भी तो देखो की मैं उनमे से नहीं जो लाखों को चाहता हो।
226- तुझे प्यार करना अब मेरे बस में नहीं पर तुझे मानाने के लिए हाथ पैर जोड़ना तो मेरे बस के बहार है।
227- याद है मुझे वो bus की बात जब तुझसे दो पल बात करना ही मेरे बस के बहार हो गया था।
228- गलती किसकी ये कोण फैसला करेगा जब फैसला करने वाले ही गुन्हेगारों के डर से चुप हो रखे हैं।
229- जहाँ बैठाया जाए तुम्हे बेइज़्ज़त करने के लिए उस बैठक में बैठना मुझे मुनासिब नहीं लगता।
230- राज़ अंदर मेरे भी बहुत है बस मैं किसी का दिल और किसी से किया कभी वादा नहीं तोड़ता।
231- मुझे लौटता देख किनारे पर घर मत बना लेना मैं लहर हूँ समंदर की लौटूंगा ज़रूर।
232- अपनों ने अपनों के लिए ना जाने क्यों इतने ख़्वाब पाल रखे हैं शायद बेखबर हैं वो की उन्होंने आस्तीन के सांप पाल रखे हैं।
233- कमाई दोस्तों की कहीं खो जाती है चंद पैसे कमाने के चक्कर में।
234- डर में यहाँ हर कोई जी रहा है गरीब बुरे वक़्त चलने के कहफ़ में और अमीर कहीं बुरा वक़्त ना आ जाए इस खौफ में।
235- यक़ीन था मुझे तुझ पर बहुत ये रिश्ता क्या टूटा यकीन ही नहीं रहा।
236- अनजानी राहों पर एक बात तो सुकुन की होती है की यहाँ कोई पुराना अपना नहीं मिलेगा।
237- ऐसा नहीं है की हमारे बाजुओं में दम कम है बस फ़र्क़ इतना है हमे किसी का फायदा उठाना नहीं आता।
238- तेरी यादो की वजह से सारे ज़रूरी काम भूल जाता हूँ पर बस एक तेरा नाम तक नहीं भूलता।
239- मत करना घमंड ऊँचाई पर उड़ने का याद रखना चिड़िया कितना ही ऊपर उड़ ले अपनी रोटी उसे ज़मीन पर ही ढूंढनी पड़ती है।
240- जब गुनाहो के दाग चेहरे पर मचलते हैं लोग आदतों के बदले आइना बदलते है।
241- यकीन करो या ना करो लोग तुम से नहीं तुम्हारे वक़्त से हाथ मिलते हैं।
242- याद्दाश इतनी कमज़ोर हो गई है मेरे अपनों की शायद इसीलिए मुझे कोई याद ही नहीं करता।
243- अजीब ज़माना आ गया है आज कल दूसरों का दुःख देख कर भी खुश हो जाते हैं।
244- कोई मांगे या ना मांगे इतनी समझ ज़रूर रखना की इज़्ज़त और और मदद किसी के बिना मांगे ही दे देना।
245- आज कल दोस्त बनाना मुश्किल हो गया है दुश्मनी अपने आप हो जाती है।
246- बोझ कन्धों पर ज़िमींदारियों का ऐसा बैठा है की लेट कर भी कन्धों को आराम नहीं मिलता।
247- हर बन्दे में कुछ न कुछ खामी नज़र आने लगी है इंसान को जैसे शक ही इनकी शक्शियत बन चूका है।
248- बुरा होता है बोझ ज़िम्मेदारियों का ना जाने कितने बन्दों का सपना बंद रखा होगा किसी संदूक में।
249- दास्ताँ दो दिल की अधूरी रह गई दिलों की नज़दीकियों के बावजूद अकड़ की वजह से दूरी रह गई।
250- आज भी उसकी यादों के सहारे मैं चल रहा हूँ शांत हूँ बहार बहार से पर अंदर से तुमसे मिलने को मचल रहा हूँ।
251- हर किसी का कुछ ना कुछ सपना अधूरा पड़ा है तभी जिस से बात करो उसका भी दिल टूटा हुआ है।
252- इन लबों को चुप रहने दो अगर शान्ति चाहते हो खुल गए तो राज़ भी खुल जाएंगे और शान्ति भी भांग हो जाएगी।
253- कुछ लोगों के घमंड इतने नाक पर रहते हैं की वो खुदा को भी नीचा दिखने की ताक पर रहते हैं।
254- नज़दीक काफी है मेरे अपने मुझसे बस ज़रा नज़दीकियां कम है उनके और मेरे बीच में।
255- नज़ारे ये सुमसान गलियों के खूबसूरत लगने लगते थे तब इन गलियों से तुम गुज़रा करती थी।
256- हर क़दम अकेले चलता हूँ क्यूंकि ना किसी का चेला बन कर चलने का मन करता है और ना ही चेलों के संग चलने का मन करता है।
257- अजीब है वो लोग जो तुम बेवजह खुश हो ये उनका दुखी होने का कारण बन जाता है।
258- अफवाहों का ज़माना है हर सच को परखना पड़ता है की ये सच है या नहीं।
259- तोहफा है ज़िन्दगी का दर्द भी हर वक़्त साथ रहता है फिर चाहे गर्मी हो या सर्दी।
260- पहुंचा जब में अकेलेपन के जहाँ में पाया मैंने की मैं अकेले नहीं हूँ यहां पर।
261- महोब्बत से मीलो तक की दूरी बना ली हैं, अब फिर से किसी के इश्क़ में नहीं डूबना मुझे।
262- यहां तो अपने ही गैरो जैसा व्यव्हार कर रहे हैं तो खेर गैरो से भी अब क्या ही डरना।
263- ये दिल तब सबसे ज्यादा रोटा हैं जब इसे कोई अपना ही धोका देकर चला जाता हैं।
264- खुद पर विश्वाश करना सीख लिया हैं मैंने इसलिए अक्सर अब धोके बहुत कम खाता हूँ।
265- जब पता चला की उनके दिल में हमारे सिवाय कोई और भी हैं तब इस दिल को संभालना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो गया।
266- प्यार तो उनसे बेइंतिहां करता था पर उन्होंने मेरे प्यार की जरा भी कदर ना की थी।
267- जब इस दिल को पता chla की वो किसी और को चाहते हैं तब ये बिना aanshu bhaye ना रुखा।
268- खुद से भी ज्यादा चाहा उन्हें पर हमें छोड़कर किसी और को चाहा उन्होंने।
269-अब तो ये दिल भी कहने लगा हैं की इसे महोब्बत से दूर ही रहना हैं।
270- जब इजात देकर भी इज्जत ना मिले तो ऐसे शक्श से दूर हो जाना ही बेहतर होता हैं।
271- बहुत दर्द दिए उन्होंने मुझे, तन्हाइयों से दोस्ती करने पर मजबूर किया उन्होंने मुझे।
272- जब ये दिल तुझे चाहने लगा तब उसी वक़्त तूने इसे धोका दिया।
273- अगर नहीं था मुझसे इश्क़ तो बता देती, इस दिल का हाल कम से कम यूह बेहाल तो ना करती।
274- जब पैसा सामने होता हैं तो अपने भी हमें धोखा देने से नहीं कतराते।
275- जिंदगी ने जख्म इतने दिए हैं की बता नहीं सकते, जख्म इतने गहरे हैं की उन्हें दिखा भी नहीं सकते।

Manish mandola is a co-founder of bookmark status. He is passionate about writing quotes and poems. Manish is also a verified digital marketer (DSIM) by profession. He has expertise in SEO, GOOGLE ADS and Content marketing.