
1- चाहत के मुक़दमे हों मोहोब्बत की अदालत हो, हर दिन एक जश्न हो हर शाम की मुबारक हो।

2- तू बस मेहनत करता जा ना सुबह देख ना शाम देख, छोड़ दे मुक़द्दर का पीछा करना तू बस अपना मुकाम देख।

3- हर सुबह जाग कर, दिन भर भाग कर, शाम को लांघ कर, कर मेहनत रात हर जाग कर।

4- बिन दिन भर मेहनत के वो थकान नहीं मिलती, बिना कड़ी थकान के वो सुकून से भरी खूबसूरत शाम नहीं मिलती।

5- तू करता जा मेहनत सफलता तेरे नाम भी आएगी, थकान के दिन है माना आज पर एक दिन सुकून भरी शाम भी आएगी।

6- सुबह जो छलके जाम तेरे नाम के तो शाम तक चले, बातें काफी हुई पर हर बात की शुरुवात मेरे नाम से हुई और तेरे नाम तक चले।

7- काफी देख लिए दुःख भरे दिन ना जाने कब वो मंज़र ऐ-शाम मिलेगा, ना जाने कब आएगा वो दिन जब मुझको भी आराम मिलेगा।

8- तेरे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे, तेरी एक शाम चुरा लूँ अगर तुझे बुरा ना लगे।

9- कैसे गुज़रते हैं दिन मेरे तेरे बगैर तुझसे एक शाम मिलूंगा तो बताऊंगा ज़रूर।

10- दिन-भर के हुए सितम मैं अपनी शाम से बताता हूँ, कभी फिर बैठ सकूं ना सकूं इस डर की वजह से बड़े आराम से बताता हूँ।
11- सारे दिन निकल रहे हैं कामियाबी की तलाश में, की सुकून की एक शाम तो आएगी इस आस में।
12- तेरे ख़याल बहुत आ चुके कभी तू भी तो आ, तेरी चाहत के सवाल बहुत आ चुके कभी तू भी तो आ।
13- एक और शाम आ गई, एक और दिन ढल गया, आज फिर मैं मौत के मुँह में गिरते-गिरते संभल गया।
14- जी करता है कुछ दिन के लिए ये शाम रोक दूँ, अपना थकान से भरा हुआ हर काम रोक दूँ।

15- हर दिन ढलते वक़्त एक वादा चाहता है, अगली सुबह फिर वही आज सा जीत का इरादा चाहता है।
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16- दिन भर टूटकर मेहनत कर नाकाम होने के बाद, फिर संभाल लेता हूँ मैं खुद को शाम होने के बाद।
17- जब दिन की मुसीबत भरी धूप मुझे अंदर तक जला देती है, ये शाम की ठंडक मुझे थप-थपा के सुला देती है।
18- चाहे दिन हो या शाम हो, जब तक जीत ना मिले बस काम हो, फिर चाहे कितनी ही दफा तुम नाकाम हो।
19- ये शाम कोई अंत नहीं ये बस सवेरे से पहले आने वाला आंधी है।

20- चला गया ये दिन भी शाम को छोड़ कर, बस इस शाम के जाते ही मैं भी सो जाऊंगा रात ओढ़ कर।
21- हर शाम इस सोच में गुज़ार देता हूँ की ना जाने कब वो शाम आएगी जो तेरा नाम नहीं तुझे लाएगी।
22- दिन भर गिरता संभालता हूँ, शाम को फिर हिम्मत भरता हूँ बस हर दिन मैं यही करता हूँ।
23- हर खूबसूरत शाम तेरा एक ख़याल छोड़ जाती है, तू कब आएगी ये सवाल छोड़ जाती है।
24- हर शाम संभल लेती है मुझे दिन आ कर फिर गिरा जाता है, ऐ खुदा गिरा रहूँ या संभला रहूँ तू ही बता तू मुझसे क्या चाहता है।

25- फिसलती ही जाती है एक पल रूकती भी नहीं, अब समझ आया बिलकुल रेत सी है ज़िन्दगी।
26- शाम ढल गई तो क्या कल फिर आएगी, आज जीतने का मौका चला गया तो क्या जीत कल फिर आएगी।
27- रोज़ गुज़रता हूँ ये शाम अकेले बस एक शाम तेरे साथ चाहता हूँ, हर शाम हाथ मलता हूँ बस एक शाम तेरे हाथों में अपना हाथ चाहता हूँ।
28- कभी-कभी हमे लोगों के नहीं यादों की याद आ रही होती है।
29- माना की दिन खराब है पर तू हिम्मत बाँध ले, हर दिन की जिस तरह शाम होती है, तेरी मुसीबत की रात की भी सुबह होगी ये तू जान ले।
30- चल शाम हो जाने दे ये दिन ढल जाने दे, मोहोब्बत बेइन्तेहाँ होगी ज़माने के सामने चाहे सारे ज़माने को पता चल जाने दे।
31- ऐ शाम थोड़ा धीरे गुज़र तेरे इलावा कोई और नहीं जिससे मिलने को मैं इतना बेताब रहता हूँ।
32- एक शाम ही तो थी जो मेरी थी जब से इसने तेरा नाम जाना है मेरी शाम भी तेरे नाम हो गई।
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