Best Gulzar Shayari in Hindi

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कुछ अलग करना हो तो भीड़ से हट के चलिए, भीड़ साहस तो देती हैं मगर पहचान छिन लेती हैं।

अच्छी किताबें और अच्छे लोग तुरंत समझ में नहीं आते हैं, उन्हें पढना पड़ता है।

इतना क्यों सिखाई जा रही हो जिंदगी हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां।

थोड़ा सा रफू करके देखिए ना फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो हैं।

मैं वो क्यों बनु जो तुम्हें चाहिए तुम्हें वो कबूल क्यों नहीं जो मैं हूं।

बहुत छाले हैं उसके पैरों में कमबख्त उसूलो पर चला होगा।

सुनो जब कभी देख लुं तुमको तो मुझे महसूस होता है कि दुनिया खूबसूरत है।

मैं दिया हूँ मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

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बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं।

तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं।

घर में अपनों से उतना ही रूठो कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत, दोनों बरक़रार रह सके।

कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें।

कुछ बातें तब तक समझ में नहीं आती जब तक ख़ुद पर ना गुजरे।

शायर बनना बहुत आसान हैं बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।

वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं, हम भूल गए हैं रख के कहीं।

तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं, रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।

कभी तो चौक के देखे वो हमारी तरफ़, किसी की आँखों में हमको भी वो इंतजार दिखे।

कैसे करें हम ख़ुद को तेरे प्यार के काबिल, जब हम बदलते हैं, तो तुम शर्ते बदल देते हो।

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किसी पर मर जाने से होती हैं मोहब्बत, इश्क जिंदा लोगों के बस का नहीं।

तन्हाई की दीवारों पर घुटन का पर्दा झूल रहा हैं, बेबसी की छत के नीचे, कोई किसी को भूल रहा हैं।

शोर की तो उम्र होती हैं ख़ामोशी तो सदाबहार होती हैं।

वक्त रहता नहीं कही भी टिक कर, आदत इसकी भी इंसान जैसी हैं।

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हाथ छुटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते, वक्त की शाख से लम्हें नहीं तोड़ा करते।

दिल अगर हैं तो दर्द भी होंगा, इसका शायद कोई हल नहीं हैं।

एक बार तो यूँ होगा, थोड़ा सा सुकून होगा ना दिल में कसक होगी, ना सर में जूनून होगा।

लकीरें हैं तो रहने दो किसी ने रूठ कर गुस्से में शायद खींच दी थी उन्ही को अब बनाओ पाला, और आओ कबड्डी खेलते हैं।

छोटा सा साया था, आँखों में आया था हमने दो बूंदों से मन भर लिया।

सामने आया मेरे, देखा भी, बात भी की मुस्कुराए भी किसी पहचान की खातिर कल का अखबार था, बस देख लिया, रख भी दिया।

बेहिसाब हसरते ना पालिये जो मिला हैं उसे सम्भालिये।

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं।

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं।

कुछ जख्मो की उम्र नहीं होती हैं ताउम्र साथ चलते हैं, जिस्मो के ख़ाक होने तक।

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उनको क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया।

कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता।

समेट लो इन नाजुक पलो को ना जाने ये लम्हे हो ना हो हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल उन पलो में हम हो ना हो।

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उसने कागज की कई कश्तिया पानी उतारी और ये कह के बहा दी कि समन्दर में मिलेंगे।

टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ में फिर से निखार जाना चाहता हूँ मानता हूँ मुश्किल हैं लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ।

बिगड़ैल हैं ये यादे देर रात को टहलने निकलती हैं।

सुना हैं काफी पढ़ लिख गए हो तुम कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं।

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मैं दिया हूँ मेरी दुश्मनी तो सिर्फ अँधेरे से हैं हवा तो बेवजह ही मेरे खिलाफ हैं।

मैंने मौत को देखा तो नहीं पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं जीना ही छोड़ देता हैं।

उन्हें ये जिद थी कि हम बुलाये हमें ये उम्मीद थी कि वो पुकारे हैं नाम होंठो पे अब भी लेकिन आवाज में पड़ गयी दरारे।

आदतन तुम ने कर दिए वादे आदतन हम ने ऐतबार किया तेरी राहो में बारहा रुक कर हम ने अपना ही इंतज़ार किया अब ना मांगेंगे जिंदगी या रब ये गुनाह हम ने एक बार किया।

पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी।

बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार, मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है।

कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।

ऐ हवा उनको कर दे खबर मेरी मौत की और कहना कि कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश उनके आँचल का इंतज़ार करती है।

बहुत अंदर तक जला देती है, वो शिकायतें जो बयाँ नही होती।

शब्द नए चुनकर कविता हर बार लिखू उन दो आँखों में अपना सारा प्यार लिखू वो में विरह की वेदना लिखू या मिलन की झंकार लिखू कैसे इन चंद लफ्जो में दोस्तों अपना सारा प्यार लिखू।

ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं ना पास रहने से जुड़ जाते हैं यह तो एहसास के पक्के धागे हैं जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं।

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