Aasman Shayari

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छूना चाहता हूँ में इन आसमानो की ऊंचाइयों को, अपना महल बसना चाहता हूँ में इन आसमानो की ऊंचाइयों पर।

ये आसमान भी आज बड़ा रंगीन हो रखा हैं शायद इसे भी पता चल गया हैं की आज हमारी रंगीन शाम होने वाली है।

आसमान की ऊंचाइयों को केवल वही व्यक्ति छू सकता हैं जिसके हौसलों में सबसे ज्यादा दम होता है।

काश मेरा एक ख्वाब पूरा हो जाये, एक बार आसमान की शैर करना मेरे लिए हकीकत हो जाये।

ये आसमान भी मेरे आगे सर झुकायेगा जब मेरा वक़्त आएगा।

ना जाने क्यों आज ये आसमा इतना सुहाना दिख रहा हैं लगता हैं मुझे भी किसी से इश्क़ हो गया है।

आसमा की ऊंचाइयों को छूना चाहते हो तो मेहनत करने का साहस कभी ख़त्म मत होने देना।

आसमान ने कहा मुझसे की क्या चाहता हैं तू मैंने कहा बस तुझे एक बार छूना चाहत हूँ मैं।

अब तो आसमान के बादल भी बोल उठे की हमसे ज्यादा तो तू बरसता है।

आसमा भी तेरे आगे सर झुखायेगा अगर तू भी कुछ कर दिखायेगा।

आसमान से ही सीखा हैं मैंने की वक्त अनुसार बदलना पड़ता है।

ख्वाहिशें आसमां पर जाने की हमने भी पाल रखी थी, मगर हम भी क्या करते मेरे चाँद ने जमीं पर घर बना रखी थी।

अपने गम के कुछ पल क्या बताये आसमा को मैंने न जाने इतना क्यों रो पड़ा वो।

तू हुकुम तो कर मेरी जान आसाम से चाँद तारे तोड़ लियाऊंगा मैं तेरे लिए।

जिंदगी में हमेशा एक बात याद रखना अगर आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंच जाओ तो कभी अपने अंदर घमंड लाना मत।

जब भी तुम्हारा हौसला आसमान तक जाएगा, याद रखना कोई ना कोई पंख काटने जरूर आएगा।

बुलंदियों के आसमान पर पहुँच जाओ, तो फटे जूते की बड़ी तारीफ़ होती है।

इसी गली में वो भूखा किसान रहता है, ये वो ज़मीन है जहां आसमान रहता है।

आसमान में उड़ते परिंदों का ठिकाना जमीन पर है, इंसान में ही ख़ुदा रहता है पर ये तेरे यकीन पर है।

पत्ते गिर सकते है पर पेड़ नहीं, सूरज डूब सकता है पर आसमान नहीं, नदियाँ सूख सकती है पर सागर नहीं, तुम्हें दुनियां भूल सकती है पर हम नहीं।

रात में दर्द की दास्ताँ सुनाई आसमान को, वो इतना रोयेगा मुझे पता नहीं था।

खुले आसमान में उड़ता था, आज पर कटा परिंदा हूँ, तूने तो मार दिया जीते जी मेरी माँ की बदौलत मैं जिन्दा हूँ।

मैं आसमाँ पे बहुत देर रह नहीं सकता मगर ये बात ज़मीं से तो कह नहीं सकता -वसीम बरेलवी।

जब कभी भी मुझे करनी होती है खुद से अकेले बातें, तो होता हूँ मैं, आसमान और साथ होती है बोलती रातें।

भरी बरसात में उड़ के दिखा ऐ माहिर परिंदे, आसमान खुला हो तो तिनके भी सफर किया करते हैं।

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