स्वामी विवेकानंद के सुविचार

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यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता।

स्वामी विवेकानंद

अनेक देशों में भ्रमण करने के पश्चात् मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि संगठन के बिना संसार में कोई भी महान एवं स्थाई कार्य नहीं किया जा सकता।

स्वामी विवेकानंद

वह आदमी अमरत्व तक पहुंच गया है जो किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होता है।

स्वामी विवेकानंद

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते हैं। शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं।

स्वामी विवेकानंद

किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।

स्वामी विवेकानंद

यह कभी मत कहो कि मैं नहीं कर सकता, क्योंकि आप अनंत हैं आप कुछ भी कर सकते हैं।

स्वामी विवेकानंद

आप जोखिम लेने से भयभीत न हो, यदि आप जीतते हैं, तो आप नेतृत्व करते है, और यदि हारते है तो आप दूसरो का मार्दर्शन कर सकते हैं।

स्वामी विवेकानंद

अपने इरादों को मज़बूत रखो। लोग जो कहेंगे उन्हें कहने दो। एक दिन वही लोग तुम्हारा गुणगान करेंगे।

स्वामी विवेकानंद

अपने आप को विस्तार आपको अपने अंदर से करना होगा। तुम्हें कोई नहीं सिखा सकता, कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता। कोई दूसरा शिक्षक नहीं है बल्कि आपकी अपनी आत्मा है।

स्वामी विवेकानंद

जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है यह अग्नि का दोष नहीं है।

स्वामी विवेकानंद

दुनिया एक महान व्यायामशाला है जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।

स्वामी विवेकानंद

हमे ऐसी शिक्षा चाहिए जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर पर खड़ा हो सके।

स्वामी विवेकानंद

शिक्षा का अर्थ है उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है।

स्वामी विवेकानंद

अगर स्वाद की इंद्रिय को ढील दी, तो सभी इन्द्रियां बेलगाम दौड़ेगी।

स्वामी विवेकानंद

धर्म कल्पना की चीज नहीं है, प्रत्यक्ष दर्शन की चीज है जिसने एक भी महान आत्मा के दर्शन कर लिए वह अनेक पुस्तकी पंडितों से बढ़कर है।

स्वामी विवेकानंद

मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं।

स्वामी विवेकानंद

जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।

स्वामी विवेकानंद

धन्य हैं वह लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।स्वामी विवेकानंदधन्य हैं वह लोग जिनके शरीर दूसरों की सेवा करने में नष्ट हो जाते हैं।

स्वामी विवेकानंद

जब कोई विचार विशेष रूप से हमारे मन पर कब्जा कर लेता है, तो यह वास्तविक, भौतिक या मानसिक स्थिति में बदल जाता है।

स्वामी विवेकानंद

हमारा कर्तव्य है कि हम सभी को अपने उच्चतम विचार को जीने के लिए संघर्ष करने के लिए प्रोत्साहित करें, और साथ ही आदर्श को सत्य के जितना संभव हो सके बनाने के लिए प्रयास करें।

स्वामी विवेकानंद

यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।

स्वामी विवेकानंद

अगर धन दूसरों की भलाई करने में मदद करे, तो इसका कुछ मूल्य है, अन्यथा, ये सिर्फ बुराई का एक ढेर है, और इससे जितना जल्दी छुटकारा मिल जाये उतना बेहतर है।

स्वामी विवेकानंद

यदि संसार में कहीं कोई पाप है तो वह है दुर्बलता हमें हर प्रकार की कमजोरी या दुर्बलता को दूर करना चाहिए दुर्बलता पाप है, दुर्बलता मृत्यु के समान है।

स्वामी विवेकानंद

बार बार परमेश्वर का नाम लेने से कोई धार्मिक नहीं हो जाता। जो व्यक्ति सत्यकर्म करता है वही धार्मिक है।

स्वामी विवेकानंद

सच्चाई के लिए कुछ भी छोड़ देना चाहिए, पर किसी के लिए भी सच्चाई नहीं छोड़ना चाहिए।

स्वामी विवेकानंद

जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।

स्वामी विवेकानंद

यदि आपके लक्ष्य मार्ग पर कोई समस्या न आये तो आप यह सुनिश्चित करले कि आप गलत रास्ते में जा रहे हैं।

स्वामी विवेकानंद

जो व्यक्ति गरीबों और असहाय के लिए रोता है, वही महान आत्मा है, अन्यथा वो दुरात्मा है।

स्वामी विवेकानंद

संभव की सीमा को जानने का सबसे उत्तम तरीका है असंभव की सीमा से आगे निकल जाओ।

स्वामी विवेकानंद

केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।

स्वामी विवेकानंद

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