
1- दिल में जूनून आँखों में देशभक्ति की चमक रखता हूँ, दुश्मन की जान निकल जाए आवाज में इतनी दमक रखता हूँ।

2- पीठ पर वार कभी करते नहीं, मारते हैं गोली दुश्मन के सीने में। अगर जानना है तो सरहद पर जाकर देखो, क्या मजा है फौजी बनकर जीने में।

3- सीने में जूनून आंखों में देशभक्ति की चमक है, दुश्मन भी कांप जाए आवाज में इतनी धमक है।

4- पीठ पर वार कभी करते नहीं, मारते हैं गोली दुश्मन के सीने में। अगर जानना है तो सरहद पर जाकर देखो, क्या मजा है फौजी बनकर जीने में।

5- लिख रहा हूँ मैं अंजाम, जिसका कल आगाज आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।

6- तीन रंग का वस्त्र नही, ये ध्वज देश की शान है, हर भारतीय के दिलो का स्वाभिमान है, यही है गंगा, यही हैं हिमालय, यही हिन्द की जान है और तीन रंगों में रंगा हुआ ये अपना हिन्दुस्तान हैं।

7- मेरे मुल्क की हिफाज़त ही मेरा फ़र्ज है, और मेरा मुल्क ही मेरी जान है, इस पर कुर्बान है मेरा सब कुछ, नही इससे बढ़कर मुझको अपनी जान है।

8- मैं अपने देश का हरदम सम्मान करता हूँ, यहाँ की मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे डर नहीं है अपनी मौत से, तिरंगा बने कफ़न मेरा, यही अरमान रखता हूँ।

9- करीब मुल्क के आओ तो कोई बात बने, बुझी मशाल को जलाओ तो कोई बात बने, सूख गया है जो लहू शहीदों का, उसमें अपना लहू मिलाओ तो कोई बात बने।

10- भारत माता तुम्हें पुकारे आना ही होगा, कर्ज अपने देश का चुकाना ही होगा, दे करके कुर्बानी अपनी जान की, तुम्हे मरना भी होगा मारना भी होगा।
11- जो अब तक ना खौला वो खून नही पानी हैं, जो देश के काम ना आये वो बेकार जवानी हैं।
12- ना सरकार मेरी है ना रौब मेरा है, ना बड़ा सा नाम मेरा है, मुझे तो एक छोटी सी बात का गौरव है, मै हिन्दुस्तान का हूँ और हिन्दुस्तान मेरा है।
13- लड़ें वो बीर जवानों की तरह, ठंडा खून फ़ौलाद हुआ, मरते-मरते भी कईं मार गिराए, तभी तो देश आज़ाद हुआ।
14- है नमन उनको कि जो यशकाय को अमरत्व देकर, इस जगत में शौर्य की जीवित कहानी हो गये हैं, है नमन उनको जिनके सामने बौना हिमालय, जो धरा पर गिर पड़े पर आसमानी हो गये हैं।

15- लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है, उछ्ल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी।
16- वतन की ख़ाक ज़रा एड़ियां रगड़ने दे, मुझे यक़ीन है पानी यहीं से निकलेगा।
17- गूंज रहा है दुनिया में भारत का नगाड़ा, चमक रहा आसमान में देश का सितारा, आजादी के दिन आओ मिलकर करें दुआ, की बुलंदी पर लहराता रहे तिरंगा हमारा।
18- कुछ पन्ने इतिहास के मेरे मुल्क के सीने में शमशीर हो गएँ, जो लड़े, जो मरे वो शहीद हो गएँ, जो डरे, जो झुके वो वजीर हो गएँ।
19- मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये।

20- अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नही, सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नही।
21- दिल से निकलेगी न मर कर भी वतन की नफरत, मेरी मिटटी से भी खुशबू-ए-वफ़ा आयेगी।
22- कहते हैं अलविदा हम अब इस जहान को, जा कर ख़ुदा के घर से अब आया न जाएगा, हमने लगाई आग हैं जो इंकलाब की, इस आग को किसी से बुझाया ना जाएगा।
23- आन देश की शान देश की, देश की हम संतान हैं, तीन रंगों से रंगा तिरंगा अपनी ये पहचान हैं।
24- मैं मुल्क की हिफाजत करूँगा ये मुल्क मेरी जान है इसकी रक्षा के लिए मेरा दिल और जां कुर्बान है।
25- भारत माता के लिए मर मिटना कबूल है मुझे, अखंड भारत बनाने का जूनून है मुझे।
26- यदि प्रेरणा शहीदों से नहीं लेंगे तो ये आजादी ढलती हुई साँझ हो जायेगी और पूजे न गए वीर तो सच कहता हूँ कि नौजवानी बाँझ हो जायेगी।
27- लिपट कर बदन कई तिरंगे में आज भी आते हैं, यूँ ही नहीं दोस्तों हम ये पर्व मनाते हैं।
28- भरा नही जो भावों से बहती जिसमें रसधार नही, हृदय नही वह पत्थर हैं, जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
29- हवा दुखों की जब आई कभी ख़िज़ाँ की तरह, मुझे छुपा लिया मिट्टी ने मेरी माँ की तरह।
30- तिरंगे ने मायूस होकर “सरकार” से पूछा कि ये क्या हो रहा हैं, मेरा लहराने में कम और कफन में ज्यादा इस्तेमाल हो रहा हैं।
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